चंद्रग्रहणनयी दिल्ली। आज रक्षाबंधन है और आज ही पड़ रहा है चंद्रग्रहण। ग्रहण का सूतक दोपहर 1ः52 बजे शुरू हो जाएगा और यह रात में 10.53 बजे से 12.55 तक रहेगा। रक्षाबंधन के दिन ग्रहण का यह संयोग 12 साल पहले भी बना था। आज का चंद्रग्रहण एक खंडग्रास (पीनम्ब्रल) एवं आंशिक चंद्रग्रहण होगा।

इस चंद्रग्रहण को भारत समेत समूचे एशिया, यूरोप और अफ्रीका में देखा जा सकेगा। देश के शीर्ष खगोल विज्ञान संगठन, स्पेस इंडिया के मुताबिक सोमवार की रात 11.51 बजे ग्रहण अपने सर्वोच्च प्रभाव में रहेगा।

चंद्रग्रहणकब होता है चंद्र ग्रहण ?

विज्ञान के अनुसार चंद्रग्रहण उस खगोलीय स्थिति को कहते हैं जब चंद्रमा पृथ्वी के ठीक पीछे उसकी प्रतिच्छाया में आ जाता है। ऐसे में सूर्य, पृथ्वी और चन्द्रमा लगभग एक सीधी रेखा में आ जाते हैं। चंद्रग्रहण और सूर्यग्रहण हमेशा साथ-साथ होते हैं तथा सूर्यग्रहण से दो सप्ताह पहले चंद्रग्रहण होता है।

चंद्रग्रहण के बारे में क्या कहता है विज्ञान

ग्रहण के वक्त वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इस दौरान अल्ट्रावॉयलेट किरणें निकलती हैं जो एंजाइम सिस्टम को प्रभावित करती हैं, इसलिए ग्रहण के दौरान सावधानी बरतने की जरूरत होती है। इसीलिए यह समय को अशुभ माना जाता है। इस समय चंद्रमा, पृथ्वी के सबसे नजदीक होता है, जिससे गुरुत्वाकर्षण का सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है। इसी कारण समुद्र में ज्वार भाटा आते हैं और भूकंप भी गुरुत्वाकर्षण के घटने और बढ़ने के कारण ही आते हैं।

क्या कहता है ज्योतिष और भारतीय मान्यता

ज्योतिष के अनुसार राहु, केतु को अनिष्टकारण ग्रह माना गया है। चंद्रग्रहण के समय राहु और केतु की छाया सूर्य और चंद्रमा पर पड़ती है। इस कारण सृष्टि इस दौरान अपवित्र और दूषित को हो जाती है।

क्या-क्या न करें ग्रहण के दौरान –

  • ग्रहण काल में कैंची का प्रयोग न करें।
  • फूलों को न तोड़ें।
  • बालों और कपड़ों को साफ न करें।
  • दातुन या ब्रश न करें।
  • ग्रहण के दौरान सोना भी नहीं चाहिए।
  • ग्रहण को नग्न आखों से न देखें।
  • घर या मंदिर में ईश्वर की प्रतिमाओं का स्पर्श न करें।
  • चंद्र ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को खास ध्यान रखने की जरूरत है, क्योंकि ग्रहण के समय वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जो कि बच्चे और मां दोनों के लिए हानिकारक हैं।

क्या करें –

  • चूंकि ग्रहण के दौरान नकारात्मक ऊर्जा पृथ्वी पर आती है, ऐसे में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाने के लिए ईश्वर के नामों का स्मरण करना चाहिए। ध्यान रखने योग्य बात ये है कि केवल नाम या मंत्र का उच्चारण करना चाहिए, पूजा की माला आदि का स्पर्श न करें।
  • ऊं का सस्वर उच्चारण आस पास की नकारात्मक ऊर्जा का विनाश कर देता है। यथासंभव जोर से बोलेकर ऊं का जाप करें। न कर सकें तो ऊं जाप का ऑडिया लगाकर उसे सुनें। इससे भी वातावरण में सकारात्मकता बढ़ेगी।

 

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