लखनऊ। बसपा और रालोद के साथ महाबठबंधन के बावजूद लोकसभा चुनाव 2019 में हाहाकारी हार से स्तब्ध सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अब “सदमे जैसी हालत” से उबरते हुए हार के कारणों की गहनता से तलाश शुरू कर दी है। अखिलेश ने सोमवार को भी हारे हुए प्रत्याशियों, उनके पोलिंग एजेंटों और कार्यकर्ताओं से मुलाकात की।
पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने बताया कि पार्टी अध्यक्ष ने पिछले कई दिनों से जारी सिलसिले में आज भी विभिन्न लोकसभा क्षेत्रों में प्रत्याशी रहे नेताओं, उनके पोलिंग एजेंटों एवं कार्यकर्ताओं से मुलाकात करके लोकसभा चुनाव के नतीजों को लेकर उनका पक्ष जाना। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में सपा के शर्मनाक प्रदर्शन से नाराज अखिलेश पार्टी के सभी प्रवक्ताओं को हटा चुके हैं।
चौधरी ने बताया कि अखिलेश ने कार्यकर्ताओं से कहा कि वे लोकसभा चुनाव में मिली हार से मायूस होने के बजाय जमीनी स्तर पर संगठन को मजबूत बनाएं और वर्ष 2022 में होने वाले प्रदेश विधानसभा चुनाव की तैयारी करें। इस सवाल पर कि लोकसभा चुनाव में मिली पराजय के बाद सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव से अखिलेश की कोई बातचीत हुई है, चौधरी ने कहा कि ऐसी कोई बातचीत नहीं हुई है।
बसपा के साथ गठबंधन को लेकर हुए नफे-नुकसान के बारे में भी कोई चर्चा होने के बारे में पूछे जाने पर चौधरी ने इससे भी इन्कार किया।
दूसरी ओर सूत्रों की मानें तो अखिलेश संगठन में आमूल-चूल बदलाव लाने के मूड में हैं। बताया जा रहा है कि हार से खफा अखिलेश यादव पार्टी के यूथ विंग में कुछ नेताओं की छुट्टी कर सकते हैं। जल्द ही नए प्रभारियों, संगठन अधिकारियों को नियुक्त किया जा सकता है। उन्होंने हाल ही में अपनी पार्टी के प्रवक्ताओं के पैनल को बर्खास्त कर दिया था और किसी भी टीवी डिबेट्स में हिस्सा लेने पर रोक लगा दी थी। इस बात पर चर्चा जोरों पर रही कि प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम को हटाकर उनकी जगह ओमप्रकाश को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है, हालांकि अखिलेश ने इस मामले में अभी कोई फैसला नहीं किया है।
गौरतलब है कि बसपा और रालोद से गठबंधन करके लोकसभा चुनाव में उतरी सपा को उत्तर प्रदेश में खासा नुकसान हुआ है। उसका वोट प्रतिशत वर्ष 2014 के मुकाबले पांच प्रतिशथ घटा है। उसे वर्ष 2014 की तरह ही कुल पांच सीटें मिल सकीं लेकिन कन्नौज, बदायूं और फिरोजाबाद की अपनी परंपरागत और “सपा का गढ़” कही जाने वाली सीटें गंवानी पड़ीं।