नई दिल्ली. दिल्ली हाई कोर्ट ने पुलिस को रोहिणी के ‘आध्यात्मिक विश्व विद्यालय’ नामक आश्रम के परिसर की जांच करने का आदेश दिया था दिल्ली पुलिस ने उच्च न्यायालय के आदेश के बाद रोहिणी में एक आश्रम पर आज छापा मारा। उच्च न्यायालय ने आश्रम की जांच करने का आदेश दिया था जहां लड़कियों और महिलाओं को कथित तौर पर बंधक बनाकर रखा जाता था।यह आश्रम रोहिणी के विजय विहार इलाके में ए-/351-352 पर स्थित है। हाई कोर्ट ने CBI से तीन हफ्तों के भीतर जांच रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है।कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति में शामिल पुलिस उपायुक्त (रोहिणी) रजनीश गुप्ता ने बताया कि आश्रम में ज्यादातर नाबालिग बच्चियां थीं और उन्हें जानवरों की तरह रखा गया था।बता दें अदालत ने कहा कि यह ‘बेहद खतरनाक’ है कि भगवान के संबंध में शिक्षा देने के नाम पर बच्चियों और महिलाओं को कथित रूप से गैर-कानूनी तरीके से बंधक बनाकर रखा गया है।
पुलिस के साथ मारपीट, बंधक बनाया
देर रात चले छापे के समय पुलिस उपायुक्त (रोहिणी) रजनीश गुप्ता, दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल और वकीलों का एक समूह मौजूद रहा।
मालीवाल ने दावा किया कि जब वे आश्रम में पहुंचे तो लड़कियों से मिलने में दो घंटे से ज्यादा का वक्त लगा और उनमें से ज्यादातर लड़कियां नाबालिग हैं।
मालीवाल ने कहा, ‘‘आश्रम में हम पर हमला भी किया और करीब एक घंटे तक हमें बंधक बनाकर रखा।’’ दिल्ली उच्च न्यायालय ने रोहिणी आश्रम में नाबालिगों को बंधक बनाने के मामले की सीबीआई जांच का आज आदेश दिया।
रजनीश गुप्ता ने बताया कि जब वे जांच के लिए आश्रम गए तो आश्रम के कुछ कर्मचारियों ने उनके साथ मारपीट की और करीब एक घंटे तक उन्हें बंधक बनाए रखा।उन्होंने कहा कि आश्रम में 100 से ज्यादा लड़कियों को बंधक बनाकर रखा गया है और उनमें से ज्यादातर नाबालिग हैं। अदालत ने आश्रम की जांच करने का आदेश दिया था कि क्या वहां किसी नाबालिग किशोर को भी बंधक बनाकर रखा गया है।
यह है इस बाबा की पूरी कहानी
देश की राजधानी दिल्ली के रोहिणी के विजय विहार इलाके में यह बाबा रेप के मामले में फंस गया है।
बाबा का नाम वीरेंद्र देव दीक्षित है और रोहिणी के विजय विहार में इसका आश्रम चलता है। इस बाबा की करतूत का भंडाफोड़ उस वक्त हुआ जब तेलंगाना के एक दंपत्ति ने कोर्ट में बाबा की पोल खोली।
दिल्ली हाईकोर्ट के सख्त रुख ने मामले की जांच सीबीआई को करने का निर्देश दिया, जिसके बाद मंगलवार देर रात तक आश्रम का निरीक्षण किया गया.
आपको बता दें कि बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित इससे पहले फर्रुखाबाद में 1998 में संवासिनी से दुष्कर्म, पुलिस मुठभेड़ व बिजली चोरी के आरोपों में जेल जा चुका है।
उसी घटना के बाद वह चर्चा में आया था। इसके बाद ये देश की राजधानी में घिनौना काम करने लगा और अब कई लडकियां सामने आ रहीं हैं जिनका कहना है कि बाबा उनका ब्रेन वाश कर लेता था और भट्ठी में झोंकने का डर दिखा उनका रेप करता था।
हाल ही में बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित पर उनकी ही शिष्या ने आरोप लगाया है कि भट्ठी में तपाने के नाम पर ‘मायावी बाबा’ लड़कियों से रेप करता था।
पीड़िता ने यह भी आरोप लगाया है कि बाबा लड़कियों को नशे का इंजैक्शन लगाकर उन्हें अपने बस में कर लेता है। इसके बाद हर रोज उनका यौन शोषण करता है। दिल्ली पुलिस इस मामले की जांच कर रही है।
इस बीच कल हाईकोर्ट ने पूरे मामले पर कड़ा रुख अपनाते हुए दिल्ली महिला आयोग व पुलिस को इस आश्रम का निरीक्षण करने का निर्देश दिया।
वहीं, अब दिल्ली हाईकोर्ट ने इस आश्रम में लड़कियों और महिलाओं के यौन शोषण की जांच के लिए सीबीआई को निर्देश दिया है।
आदेश के मद्देनजर मंगलवार देर रात तक आश्रम का निरीक्षण किया गया।
दिल्ली महिला आयोग को बुधवार को कोर्ट में रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया । यह निर्देश हाईकोर्ट ने एक NGO की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।
वहीं कोर्ट ने केंद्र व दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। कोर्ट ने दिल्ली महिला आयोग व कई वकीलों को लेकर जांच के लिए कमेटी बनाई है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने कहा कि आश्रम में युवतियों व महिलाओं को अध्यात्म के नाम पर बंधक बनाकर रखा जा रहा है, यह बेहद खतरनाक है। यह वैसा ही है जैसा हरियाणा के सिरसा में हो रहा था।
खंडपीठ ने दिल्ली पुलिस आयुक्त को निर्देश दिया है कि वह डीसीपी स्तर के अधिकारी को नियुक्त कर आध्यात्मिक विश्वविद्यालय का फौरन निरीक्षण करवाए।
कोर्ट ने पुलिस को दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल के साथ आश्रम में जाने और निरीक्षण करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि इस पूरे निरीक्षण की वीडियोग्राफी कराई जाए। जिन तीन लड़कियों के माता-पिता कोर्ट आए हैं, उनको मुक्त करवाकर कोर्ट में पेश किया जाए।
इसके लिए दिल्ली पुलिस के स्थायी अधिवक्ता राहुल मेहरा पुलिस के साथ तालमेल करें। कोर्ट ने आश्रम के संचालक वीरेंद्र देव दीक्षित को निरीक्षण के दौरान पुलिस का सहयोग करने का निर्देश दिया।
कैसे हुआ मामले का खुलासा?
फाउंडेशन फोर सोशल इम्पावरमेंट नाम के एनजीओ ने आश्रम पर लड़कियों एवं महिलाओं को अवैध रुप से बंधक बनाकर रखने और उन्हें अपने अभिभावकों से नहीं मिलने देने का आरोप लगाया था। एनजीओ ने आश्रम के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की। उसने कोर्ट से कहा कि एक दंपति ने पुलिस में बलात्कार की शिकायत दर्ज कराई लेकिन अबतक प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई। उसने एक लड़की को अदालत में पेश कर कहा कि वह किसी तरह आश्रम से बाहर निकल गई। आश्रम में उससे बलात्कार किया गया था। कोर्ट ने आध्यात्मिक विश्व विद्यालय के संस्थापक विरेंद्र दीक्षित को जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया।