आंवला (बरेली)। वो कबाड़ी उस बूढ़ी औरत से सोने के कटोरे को बेकार बताकर टहलाता रहा। फिर कुछ दिन बाद खरीदने गया लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। महिला को पता चल चुका था कि कटोरा सोने का है और उसके बदले में उसे बहुत सा पैसा और सामान मिल चुका था।
‘द गोल्डन बाउल’ शीर्षक वाली यह कहानी बच्चों को स्कूलों में पढ़ाई जाती है। ऐसी ही घटना आंवला में रविवार को घटी। जब कबाड़ बीनने वाले कुछ बच्चे कबाड़ी को पीतल के भाव सोने के कुछ जेवरात बेच आये। कबाड़ी ने कुछ ही खरीदा और बाकी टहला दिया। लेकिन जब उसे पता चला कि वो पीतल नहीं सोने के जेवर हैं तो वह बच्चों को खोजता हुआ उनके घर पहुंच गया। घरवालों को संदेह हुआ तो मामला खुला।
राहिल के घर पहुंचा कबाड़ी
हुआ यूं कि आंवला-बदायूॅ मार्ग पर न्यू आंवला सिटी कालोनी के सामने मुहल्ला ताड़गंज के रहने वाले मौसम शाह का बेटा राहिल कूड़े के ढेरों से कबाड़ बीनने का काम काम करता है। वह रविवार को भी रोजना की तरह कूडे़ के ढेर में से काम की चीजे बीन रहा था। वहां उसे पोटली दिखाई दी जिसमें पीली धातु का सामान था। बह उस पीली धातु को लेकर बजरिया के पास एक कबाड़ी के यहां गया। कबाडी ने पीतल समझकर कुछ रूपए देते हुए उसमें से एक दो अदद खरीद लिए।
कुछ देर में कबाड़ी को वस्तुएं सोने की होने की जानकारी हो गयी। तो कबाड़ी शीघ्र ही राहिल के घर पहुंचा और बाकी सामान खरीदने की बात करने लगा। जब बच्चे के पिता को दाल मेंं कुछ काला नजर आया तो उन्होंने पूर्व चेयरमैन के वेटे वकार अली गुडडू व सभासद पति इरफान सैफी को बुलाकर सारी बात बताई।
उक्त दोनों लोगों ने पुलिस को सारी जानकारी दी। एसएसआई संजय सिंह ने जब उक्त पीली धातु की जांच कराई तो वह जेवरात सोने के निकले। इस पर पुलिस कर्मी और बच्चों के परिजन भौचक्के रह गये।
पुलिस के अनुसार सोने का वजन 265 ग्राम पक्का सोना तथा 21.5 ग्राम दिखावटी सोना है। फिलहाल मामले की जांच की जा रही है कि कूड़े के ढेर में सोने के जेवरों की थैली कहां से आयी?