आँवला। श्रीराम का चरित मर्यादा व सादगी से परिपूर्ण है। उनके आदर्शों को जीवन कर हम प्रत्येक कष्ट से मुक्ति पा सकते है। यहां भरत जी इण्टर कालेज में श्री बांके बिहारी सेवा समिति द्वारा आयोजित श्रीरामकथा के दूसरे दिन कथावाचक पं0 सतेन्द्र मोहन शास्त्री यह बात कही।
उन्होंने कहा कि अपने जीवन को व्यवस्थित करने के लिए हमें राम को अपना मैनेजमेंट गुरू बनाना होगा। परिवार में संस्कार व सामंजस्य बनाने के लिए राम ने सर्वस्च न्यौछावर कर दिया। पिता की आज्ञा का पालन कर वन को गए तो वहां मित्रता का पालन करते हुए सुग्रीव के प्राणों की रक्षा बालि से की। लंका के राजा रावण को मर्यादा का पाठ पढाने के अनेको प्रयास किए परन्तु जब वह नहीं माना तो उसका वध भी किया।
संस्कारवान घर से कभी मुख नहीं मोड़ती लक्ष्मी
पूरे जीवन श्रीराम ने मर्यादा में रहकर ही कार्य किए इसीलिए उनके मर्यादा पुरूषोत्तम कहा जाता है हमें भी अपने रिश्ते, नाते, परिवार में मर्यादा का पालन करना चाहिए मर्यादा से संस्कार आते है। जहां संस्कारवान लोग रहते हैं उस घर से लक्ष्मी कभी मुख नहीं मोड़ती।
इस दौरान शिव विवाह का बड़ा ही रोचक व सजीव वर्णन शास्त्री जी ने सुनाया। भजनो पर आनंदित होकर भक्त झूम उठे। इस अवसर पर गोपाल कृष्ण अग्रवाल, राजकुमार खण्डेलवाल, विप्पी खण्डेलवाल, प्रवीन खण्डेलवाल, गोपाल अग्रवाल, राजू खण्डेलवाल, लोकेश, अमित, राहुल आदि ने सहयोग प्रदान किया।