आँवला। भरतजी इण्टर कालेज में श्रीबांके बिहारी सेवा समिति द्वारा आयोजित श्रीरामकथा के चौथे दिन कथा वाचक पं0 सतेन्द्र मोहन शास्त्री ने श्रीराम विवाह उत्सव की मोहक वर्णन किया।
इस सुन्दर प्रसंग का वर्णन करते हुए बताया कि जब सीताजी पुष्प वाटिका में फूल चुनने जाती हैं और वहां श्रीराम को देखकर वह मन ही मन उन्हें अपने पति रूप में पाने की प्रार्थना करती हैं। इसके बाद श्रीराम धनुष तोड़कर राजा जनक की प्रतिज्ञा पूरी करते हैं।
उन्होंने कहा कि राम जैसा संस्कारी, आज्ञाकारी, मर्यादा से परिपूर्ण पुत्र उसी घर में पैदा होता है जहां दशरथ और कौशल्या होते हैं। कहा कि राम जैसे पुत्र की हम सभी कल्पना करते हैं परन्तु अपनी संतान में राम जैसे संस्कार हम नहीं डाल पाते। पाश्चात्य सभ्यता में लीन होकर वही बालक जब बुढ़ापे में हमारी सेवा नहीं करते, तबयाद आता है कि हम बच्चों को संस्कार देना तो भूल ही गए। कथा सुनकर भक्त आनंदित होकर झूम उठे।
इनका रहा सहयोग
यहां प्रवीन खण्डेलवाल गोपाल कृष्ण अग्रवाल, राजकुमार खण्डेलवाल, विप्पी खण्डेलवाल,, गोपाल अग्रवाल, राजू खण्डेलवाल, लोकेश, अमित, राहुल आदि ने सहयोग प्रदान किया।