शरद सक्सेना, आंवला (बरेली)। सरकार मुझे आप अन्नदाता कहते हो। मैं धरती का सीना चीरकर लोगों के क्षुधापूर्ति के लिए अन्न उगाता हूं। लेकिन मेरे ही परिवार के सामने रोटी का संकट पैदा हो जाता है। अपने पसीने से सींचकर उगायी फसल का मूल्य मुझे नहीं मिल रहा है तो उसे लोगों के पैरों से कुचलने को सड़क पर ही डाल दे रहा हूं। शायद आप मेरे दर्द को महसूस कर सको।
कुछ ऐसी ही पीड़ा के साथ क्षेत्र के किसानों ने कुन्तलों आलू आंवला-बदायूं मार्ग पर सड़क किनारे डाल दिये। शहर से करीब दो किलोमीटर की दूरी पर सिद्धबाबा द्वार के आस-पास की सड़क बुधवार की शाम आलू से पटी दिखायी दी। तो शहर में हलचल गयी। बताया गया कि उचित दाम न मिल पाने के कारण कुन्तलों आलू सड़क किनारे के खेतों में फेंक दिया।
इस आलू को कुछ जरुरतमंद लोग बोरों में भरकर ले जाने लगे तो कुछ जानवर आकर अपनी क्षुधा शान्त करने लगे। भूखा रह गया तो बेचारा किसान, जिसने आलू उगाये। अब ये आलू गाड़ियों के टायरों से कुचलकरएक दो दिनों में क्षेत्र में भारी सड़ान्ध का कारण बनेंगे।
किसान को नहीं मिल रहा लागत से आधा दाम भी
गांव कनगांव निवासी राजवीर मुहल्ला फूटा दरवाजा के किसान जमील खां और मुहल्ला कच्चा कटरा निवासी किसान रामदयाल आदि का कहना है कि आलू बोने से लेकर फसल तैयार होने तक जो लागत आती है आलू उससे भी आधे रेट में भी नहीं बिक पा रहा है। ऐसे में किसान क्या करें।
मजबूर है किसान, सरकार नहीं दे रही ध्यान
सपा जिला सचिव अवनीश तिवारी का कहना है कि आज की तारीख में किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है। कोल्ड स्टोर में आलू रखने का खर्चा करीब 80 रूपए प्रति बोरी है जबकि मंडी में किसानों को 50 रू0 बोरी के दाम भी नहीं मिल पा रहे है। ऐसे में किसाना क्या करे। सरकार को किसानों की पीड़ा समझनी चाहिए और उसके हित में कदम उठाने चाहिए।
सरकार किसान हितैषी है : रामनिवास
भाजपा मण्डल अध्यक्ष रामनिवास मौर्य का कहना है कि बाजार में नया आलू आ चुका है, जो 10 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। ऐसे में कोल्ड स्टोर में रखे पुराने आलू को जब किसान लेने नहीं आए तो स्टोर मालिकों ने आलू फेंक दिया होगा, हमारी सरकार किसान हितैषी है।