राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का स्वयंसेवक एकत्रीकरण कार्यक्रम ‘‘शिव शक्ति संगम’’    बरेली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का स्वयंसेवक एकत्रीकरण कार्यक्रम ‘‘शिव शक्ति संगम’’ रविवार को बरेली कॉलेज मैदान पर आयोजित किया गया। हजारों की संख्या में पूर्ण गणवेशधारी स्वयंसेवकों ने भाग लिया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि महामण्डलेश्वर स्वामी यतीन्द्रानन्द गिरि जी रहे। मुख्य वक्ता आरएसएस के पूर्व प्रांत प्रचारक वर्तमान में संयुक्त क्षेत्र के प्रचार प्रमुख कृपाशंकर थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. ओमप्रकाश भास्कर ने की।

स्वयंसेवकों को सम्बोधित करते हुए मुख्य वक्ता कृपाशंकर ने संघ यानि आरएसएस को राष्ट्रवाद की पाठशाला है। कहा कि यदि किसी को राष्ट्र भक्ति सीखनी है तो उसे संघ के शिव शक्ति संगम में आना होगा। आरएसएस ने सेवा और समरसता के मंत्र को चरित्रार्थ किया है। उन्होंने आरएसए के बारे में बताया कि 1925 में सर संघचालक डॉ. हेडगेवार द्वारा रोपा गया पौधा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के रूप में वटवृक्ष बन चुका है। उन्होंने आरएसएस को सेवा का पर्याय बताया।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का स्वयंसेवक एकत्रीकरण कार्यक्रम ‘‘शिव शक्ति संगम’’इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारम्भ भगवा ध्वज और भारत माता के पूजन से हुआ। उन्होंने कहा कि देश में भूकंप, ट्रेन हादसा या कोई भी आपदा आई हो, आरएसएस के कार्यकर्ताओं ने पूरी निष्ठा के साथ सेवा और सहयोग का कार्य किया। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी एक कार्यक्रम में आये तो उन्होंने माना कि संघ ही छुआछूत को खत्म कर सकता है।

उन्होंने कहा कि प्रत्येक शहर में तीन फीसदी और प्रत्येक गांव में एक फीसदी स्वयंसेवकों का निर्माण हो जाए तो अस्पृश्यता हमेशा के लिए समाप्त हो जाएगी। अखंड भारत का स्वप्न पूर्ण हो जाएगा। जो व्यक्ति राष्ट्र के प्रति समर्पित है, राष्ट्र को स्वयं का मान के चलता है, भारत माता को मानता है, वह राष्ट्रवादी है। इसके विपरीत वह व्यक्ति जो आतंकवाद के रास्ते पर चल रहा है। देश के विभाजन का स्वप्न देख रहा है। देश को किसी प्रकार से क्षति पहुंचाने की कोशिश कर रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ऐसे राष्ट्रविरोधी शक्तियों के विरोध में खड़ा था, खड़ा है और खड़ा रहेगा। ,

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का स्वयंसेवक एकत्रीकरण कार्यक्रम ‘‘शिव शक्ति संगम’’इन चार सिद्धांतों को अपनाकर बनें जागरूक नागरिक

मुख्य अतिथि जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानन्द गिरि ने अपने उद्बोधन की शुरुआत नाथनगरी के गौरवमयी इतिहास के वर्णन के साथ की। साथ ही कहा कि भारत की अखण्डता के लिए हमें जागरुक नागरिक बनना होगा। इसके लिए उन्होंने चार बातों का एक सिद्धान्त दिया, जिसे उन्होंने चार सिद्धान्त का नाम दिया।

उन्होंने कहा कि पहला सिद्धान्त जिस जगह आप रहते है, देखो कहीं कुछ गलत तो नहीं हो रहा। दूसरा सिद्धान्त टोको, अपनी चारों तरफ अगर हमें कुछ गलत लग रहा है तो उसे टोको, तीसरा सिद्धान्त रोको, अगर वो टोकने से नही रुक रहा तो रोको। चौथा सिद्धान्त पुलिस प्रशासन को मजबूर कर दो ताकि वो कार्यवाही करें। हमको जागरूक नागरिक बनना है।

कार्यक्रम में मुख्य रूप से त्रिवेंद्र कुमार, आलोक प्रकाश, डा. विवेक मिश्रा, डॉ. विमल भारद्वाज, डॉ. विनोद पागरानी, आनंद, विक्रांत, हरीश कश्यप, सूर्यकांत, विवेक अग्रवाल, सौरभ सिंह, अनुराग, आलोक, रुचिन समेत बड़ी संख्या में स्वयंसेवक एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन महानगर के प्रचार प्रमुख डा. शैलेष चौहान ने किया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का स्वयंसेवक एकत्रीकरण कार्यक्रम ‘‘शिव शक्ति संगम’’

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