नयी दिल्ली। महाशिवरात्रि का पर्व देश भर में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। शिवालयों में पौ फटने ही हर-हर, बम-बम के जयकारे गूंजने लगे। शिवालयों को विशेष रूप से फूल-मलाओं से सजाया गया है। लोग लम्बी कतारों में लगकर अपने आराध्य का जलाभिषेक करने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। शिवभक्त अपने हाथों में बिल्वपत्र, धतूरा, पुष्प और दूध समेत तमाम पूजन सामग्री महादेव को अर्पण करने के लिए लाये हुए हैं।
महाकाल की भस्म आरती
मध्यप्रदेश के उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर में भोलनाथ का विशेष श्रृंगार किया गया है। यहां महाकाल की भस्मा आरती की गई। सुबह से महाकाल के दर्शन के लिए भक्त कतार में लगे हैं। लोग हर-हर महादेव और बोल बम के जयकारों से मंदिर को गुंजायमान कर रहे हैं। इसी तरह पुणे के भीमाशंकर मंदिर में भी शिवभक्तों का तांता लगा है। पूरा वातावरण शिवमय प्रतीत हो रहा है। चारों दिशाओं से भगवान शिव के जयकारे सुनाई दे रहे हैं।
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21 साल बना संयोग – दो दिन महाशिवरात्रि
महाशिवरात्रि को भगवान शिव की पूजा करने का सबसे बड़ा दिन माना जाता है। 21 साल बाद इस बार ऐसा संयोग बन रहा है कि महाशिवरात्रि दो दिन तक (13 व 14 फरवरी) मनेगी। साथ ही प्रदोष भी मनेगा। अलग-अलग पंचांग में महाशिवरात्रि अलग-अलग दिन है।
13 फरवरी यानी आज की रात 10 बजकर 35 मिनट पर चतुर्दशी तिथि का शुभारंभ होगा। वहीं, 14 फरवरी की रात 12 बजकर 46 मिनट तक चतुर्दशी रहेगी। ऐसे में दोनों ही दिन श्रद्धालु भोलेनाथ का जलाभिषेक कर सकते हैं।
पंडितों के अनुसार रात 10.21 बजे से चतुर्दशी शुरू हो जाएगी। इसलिए 12.8 मिनट पर 1.2 मिनट तक निशिथ काल महारात्रि होगी। इसके साथ ही 21 साल बाद अद्भुत संयोग बन रहा है। महाशिवरात्रि के साथ ही प्रदोष भी बनेगा। वहीं 14 फरवरी को रात 12.11 बजे चतुर्दशी समाप्त हो जाएगी।
शिव पूजन का महत्व
महाशिवरात्रि में शिव पूजन का विशेष महत्व है। अभिषेक, ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप किया जाता है। हर मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि मनाते हैं। वहीं फाल्गुन कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को महाशिवरात्रि मनाते हैं।
महाशिवरात्रि : क्या है मान्यता
मान्यता है कि यदि शिव को सच्चे मन से याद कर लिया जाए तो शिव प्रसन्न हो जाते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन भगवान शंकर का माता पार्वती के साथ विवाह हुआ था। हिंदू मान्यताओं के अनुसार महाशिवरात्रि साल के अंत में आती है इसलिए इस दिन पूरे वर्ष में हुई गलतियों के लिए भगवान शंकर से क्षमा याचना की जाती है और आने वाले वर्ष में उन्नति एवं सदगुणों के विकास के लिए प्रार्थना की जाती है।
शिवभक्त पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ इस दिन भोलेनाथ की विशेष पूजा, अर्चना और स्तवन करते हैं। भारत के अलग अलग प्रदेशों में स्थापित 12 ज्योतिर्लिंगों पर इस दिन हजारों भक्त जलाभिषेक कर अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भगवान से प्रार्थना करते हैं।