osho meditation workshop in lucknowलखनऊ। राजधानी के एक होटल में ओशो के अनुयायियों ने एक ओशो मेडिटेशन वर्कशॉप आयोजन किया गया। इसमें काम वासना में जी रहे व्यक्ति को ध्यान द्वारा ऊर्जा को उर्ध्वगामी बनाने पर जोर दिया गया। कार्यशाला में ओशो की पुस्तकों की प्रदर्शनी भी लगायी गयी थी। साथ ही ‘मेरी प्रिय पुस्तकें : ओशो’ का विमोचन भी किया गया।

स्वामी ज्ञान समर्पण ने किया है अनुवाद

ओशो द्वारा लिखवाएं गए अपने संस्मरण ’बुक्स आई हैव लव्ड’ का हिंदी अनुवाद है ‘मेरी प्रिय पुस्तकें : ओशो’। यह अनुवाद बरेली के स्वामी ज्ञान समर्पण ने किया है। पुस्तक का विमोचन मुख्य अतिथि मां शशि द्वारा किया गया। बता दें कि मां शशि ओशो की शिष्या हैं, जो जबलपुर में स्थित योगेश भवन के ग्रह स्वामी की बेटी हैं। योगेश भवन में ओशो 28 वर्ष की अवस्था में तकरीबन 10 वर्ष रहे थे। तब मां शशि मात्र 10 वर्ष की थीं।

osho meditation workshop in lucknowosho meditation workshop in lucknowलगायी ओशो की पुस्तकों की प्रदर्शनी

कार्यशाला का आयोजन ओशो एसेंस द्वारा होटल अवध इंटरनेशनल में किया गया था। मेडिटेशन वर्कशॉप के दूसरे दिन दिव्यांश पब्लिकेशन, लखनऊ द्वारा प्रकाशित ओशो की पुस्तकों की प्रदर्शनी भी लगायी गयी। दिव्यांश प्रकाशन द्वारा अब तक ओशो की पचास से अधिक पुस्तकें प्रकाशित की जा चुकी हैं।

शिविर संचालक मां प्रेम सिन्धु ने तनाव पूर्ण जीवन शैली में ध्यान के योगदान पर प्रकाश डाला। वर्कशॉप में आये साधकों को ओमकार ध्यान का प्रयोग करवाया गया। ये साधक लखनऊ के साथ ही देश के विभिन्न प्रांतों से आये थे। वर्कशॉप में प्रसारित ओशो सन्देश में बताया गया कि मनुष्य काम वासना में जी रहा है लेकिन वह प्रेम के द्वारा प्रार्थना की भावदशा में पहुँच सकता है। मन से ऊपर उठना ध्यान से सम्भव है और ओशो ने हमें यही सिखाया है।

कार्यक्रम का संचालन मां अपूर्वा ने किया। इस अवसर पर दिव्यांश प्रकाशन के प्रबंध निदेशक नीरज अरोरा भी उपस्थित रहे। अंत में संतोष ने आभार व्यक्त किया।

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