बरेली। रोटरी क्लब आफ बांस बरेली ने गुरुवार को रोटरी भवन में नारी शक्ति का सम्मान किया। इसमें शहर की पांच महिला शख्सियतों को उनके द्वारा समाज में दिये जा रहे योगदान के लिए उन्हें सम्मानित किया। पुलिस महानिरीक्षक डी.के. ठाकुर ने उन्हें प्रशस्ति पत्र एवं स्मृति चिन्ह प्रदान किये।
कार्यक्रम का शुभारम्भ राष्ट्रगान जन-गण-मन से किया गया। इसके बाद शहर की वरिष्ठ स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. मृदुला शर्मा, पुलिस क्षेत्राधिकारी तृतीय नीति द्विवेदी, समाजसेवी पारुल मलिक, प्रधानाचार्या सुषमा सक्सेना और महिला थाना प्रभारी प्रीति पंवार को सम्मानित किया गया।
उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए आईजी डी.के. ठाकुर ने कहा कि स्त्री और पुरुष के बीच भेदभाव की स्थिति बहुत चिन्ताजनक है। कहा कि वेदों में वर्णित कुछ अपवाद छोड़ दे ंतो आदि काल से ही स्त्री को घर की दहलीज में कैद सा कर दिया गया था। आज यह स्थिति थोड़ी सुधरी तो है लेकिन भेदभाव अभी खत्म नहीं हो सका है।
डॉ. मृदुला शर्मा ने कहा कि महिला दिवस की सार्थकता तभी सिद्ध होगी जब महिलाओं को उनका बाजिव हक बिना भेदभाव के मिल जाये। उन्होंने कहा कि प्रति दस लाख में भारत में 174 गर्भवती महिलाओं की मौत हो जाती है। कहने को यह आंकड़ा गंभीर नहीं दिखता लेकिन जब हम अन्य देशों से तुलना करते हैं तो तस्वीर साफ हो जाती है। स्वीडन में यह आंकड़ा प्रति दसलाख डिलीवरी केवल 6 है। इसी तरह श्रीलंका में मातृ मृत्यु दर यानि केवल 20 है। ऐसे में बहुत काम करने की जरूरत है।
इससे पूर्व सभी हस्तियों का परिचय कवि ऋषि कुमार शर्मा ने कराया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. रंजन विशद ने किया और आभार जताया क्लब के अध्यक्ष सुभाष चंद्र अग्रवाल ने।
ये रहे मौजूद
इस अवसर पर संजय गोयल, आनन्द अग्रवाल, वीपी खण्डेलवाल, कृष्णा खण्डेलवाल, जेपी गुप्ता, रमेश अग्रवाल, पूर्णिमा शर्मा और हरीश शर्मा यमदूत आदि मौजूद रहे।
रचना क्षेत्र की पूर्ण उपेक्षा करके पुलिस विभाग से दो-दो महिलाओं को इस सम्मान के लिए चुना जाना क्या यह स्पष्ट नहीं दर्शाता है कि समाज में रचनाकार हाशिये पर सिमटते जा रहे हैं और स्वार्थ पूर्ति के लिए सम्मानों व पुरस्कारों का दिया जाना संबंधों और सम्पर्कों में प्रगाढ़ता का माध्यम बनता जा रहा है जिसके प्रति जन साधारण में जागरूकता आवश्यक है l
रचना क्षेत्र की पूर्ण उपेक्षा करके पुलिस विभाग से दो-दो महिलाओं को इस सम्मान के लिए चुना जाना क्या यह स्पष्ट नहीं दर्शाता है कि समाज में रचनाकार हाशिये पर सिमटते जा रहे हैं और स्वार्थ पूर्ति के लिए सम्मानों व पुरस्कारों का दिया जाना संबंधों और सम्पर्कों में प्रगाढ़ता का माध्यम बनता जा रहा है जिसके प्रति जन साधारण में जागरूकता नितान्त आवश्यक है l
———- आइवर यूशिएल
लोकप्रिय बाल-विज्ञान लेखक, बरेली
मो: 09456670808