गंगा जयंती की शुभकामनाएं…
वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को गंगा जयंती यानि गंगा सप्तमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन पर गंगा स्नान और दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है। गंगा जयंती के दिन जो लोग गंगा में स्नान करते हैं उन्हें सात्त्विकता और पुण्यलाभ की प्राप्ती होती है।
गंगा की उत्पत्ति के बारे में मान्यताएं
गंगा सप्तमी के दिन माता गंगा की उत्पति हुई। शास्त्रों में गंगा की उत्पत्ति के बारे में कई मान्यताएं है। एक कथा के अनुसार मां गंगा का जन्म भगवान विष्णु के पैर के पसीनें की बूंदों से हुआ है।
वहीं दूसरी मान्यता के अनुसार गंगा का जन्म भगवान ब्रह्रा के कमंडल से हुआ था। वही सबसे प्रचलित कथा के अनुसार, भगीरथ ने पृथ्वी पर कपिल मुनी के श्राप से ग्रसित राजा सगर के 60,000 पुत्रों की अस्थियों के उद्धार और समस्त प्राणियों के जीवन की रक्षा के लिए घोर तपस्या करके मां गंगा को धरती पर लेकर आए। इसी दिन भगवान शिव ने मां गंगा को स्वर्ग से पृथ्वीलोक लाने के लिए उनके वेग को अपनी जटाओं में संभालते हुए पृथ्वी पर लाएं। इस कारण से इस दिन गंगा जयंती मनाई जाती है….
गंगा नदी को भारत की पवित्र नदियों में सबसे पवित्र नदी के रूप में पूजा जाता है, मान्यता है कि गंगा में स्नान करने से मनुष्य के समस्त पापों का नाश होता है। गंगा के जल का इतना महत्व है कि उसे हिंदू धर्म के समस्त संस्कारों में शामिल किया जाता है।
मांगलिक दोष से ग्रसित जातकों को विशेष लाभ
गंगा जयंती के दिन गंगा पूजन एवं स्नान करने से रिद्धि-सिद्धि, यश व सम्मान की प्राप्ति होती है तथा समस्त पापों का क्षय होता है। मान्यता है कि इस दिन गंगा पूजन से मांगलिक दोष से ग्रसित जातकों को विशेष लाभ प्राप्त होता है।
इसलिए जिन लोगों की कुंडली में मांगलिक दोष हो वे आज के दिन गंगा में स्नान कर वहां विधि-विधान से पूजन करें। वहीं इस दिन गंगा जल में श्रद्वानुसार गुप्त रूप से दान करना बहुत ही शुभ माना जाता है।