बरेली की जरीबरेली। जरी कारीगर दिन रात मेहनत कर अपना उत्पाद तैयार करते है लेकिन बाजार न उपलब्ध होने के कारण उनको ओने पौने दाम में बेचना पड़ता था। यहां से जाने के बाद बरेली के जरी उत्पाद को दूसरे प्रदेशों में ऊंचे दाम पर बेच दिया जाता है। प्रशासन जरी कारीगरों को उनकी मेहनत का फल दिलाने के लिए प्रशासन नई पहल करने जा रहा है। अब बरेली की जरी की ऑनलाइन बिक्री होगी और जरी के उत्पाद फिल्पकार्ट और अमेजन जैसी ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट पर बिकेंगे इसके लिए प्रशासन ने तैयारी शुरू कर दी है।

सीडीओ सतेंद्र कुमार ने बताया किये व्यवस्था शुरू हो जाने से जरी कारीगरों को उनकी मेहनत का उचित मूल्य मिल सकेगा। कारीगरों को बाजार दिलाने के लिए जरी उत्पादों की ब्रांडिंग कराई जाएगी और बाहर के एक्सपोर्ट्स को बरेली में बुलाकर कारीगरों के उत्पाद दिखाए जाएंगे और उत्पादों की ऑनलाइन बिक्री के भी प्रयास किए जा रहे है।

मिलेगा लोन

बरेली में हांफते लड़खड़ाते जरी जरदोजी उद्योग को रफ्तार देने के लिए सरकार ने कारोबारियों को बगैर ब्याज के लोन मुहैया कराएगा। वन डिस्ट्रिक वन प्रोडक्ट योजना के तहत बरेली जिले से जरी जरदोजी के कारोबार को चुना गया है इसलिए अब इस कारोबार से जुड़े कामगारों के लिए सरकार की तरफ से योजना बनाकर उन्हें आर्थिक मदद देने का प्लान तैयार किया किया गया है।

जिले में लाखों जरी कारीगर

बरेली में करीब ढाई लाख हस्तशिल्पी जरी कारोबार से जुड़े हैं। सरकार की बेरुखी की वजह से बरेली की जरी उद्योग को पहचान नहीं मिल पा रही है। हलाकि कई बार योजनाएं जरूर बनी है। जरी कारीगरों की माली हालत खराब है। ज्यादातर जरी कारीगर रोजी रोटी की जंग लड़ रहे हैं। इस काम में हजारों की तादात में महिलाएं भी जुड़ी हुई है।

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