किसानों की फसल बचाने के लिए एक नई तकनीक पर काम शुरू हो गया है। सोचिए अगर कोई पौधा कीड़ों में यौन आकर्षण पैदा कर उन्हें मार डाले तो कैसा रहे। यकीन नहीं होता न लेकिन, स्पेन के वैज्ञानिकों ने ऐसा ही एक उपाय खोज निकाला है। उन्होंने साबित किया है कि पौधों में अनुवांशिक बदलाव कर फेरोमोन्स रसायन पैदा कर सकते हैं। इस तकनीक के जरिए ‘सेक्सी पौधों’ को विकसित किया जाएगा। हालांकि, पौधों को बचाने के लिए फेरोमोन्स का इस्तेमाल पहले से हो रहा है, लेकिन इसे बहुत अधिक लागत पर प्रयोगशाला में तैयार किया जाता है।
क्या है फेरोमोन्स रसायन?
फेरोमोन्स रसायन वहीं पदार्थ है जिसे आकर्षण के लिए मादा कीड़े निकालती हैं, नर कीड़ो को इससे ही आकर्षित करती हैं। इस नए अविष्कार का मकसद उन पौधो को कीड़ों से बचाना है जिनकी बाज़ार में बहुत अधिक कीमत होती है। इस तकनीक के ज़रिए ‘सेक्सी पौधों’ को विकसित किया जाएगा।
ससफायर प्रोजेक्ट
पौधों को तैयार करने के लिए इसे एक प्रोजेक्ट के रूप में विकसित किया जाएगा।इस प्रोजेक्ट को ‘ससफायर’ नाम दिया गया है।पौधों को इस तरह विकसित किया जाएगा जिससे वह फेरोमोन्स बना सकें। बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, योजना के एक सदस्य और वेलेंसिया में पॉलीटेक्निक यूनिवर्सिटी में शोधार्थी विसेंट नवारो ने कहा, फसल को बचाने के लिए यह बेहद कारगर तरीका हो सकता है। जब अधिक मात्रा में फेरोमोन्स पैदा होता है तो इससे नर कीड़े परेशान हो जाते हैं और वो मादा कीड़ों को खोज नहीं पाते, यही वजह है कि इन कीड़ों के प्रजनन में भी कमी आती है।
महंगी है ये तकनीक
नवारो के मुताबिक, यह तकनीक तो पहले से इस्तेमाल की जा रही है लेकिन इसमें बहुत अधिक खर्च आता है।नवारों ने कहा कि इसकी कीमत कई बार 23 हज़ार डॉलर से 35 हजार डॉलर और कभी-कभी तो 117 हजार डॉलर प्रतिकिलो तक पहुंच जाती है। इसका मतलब यह है कि फसल को कीड़ों से बचाने के लिए यह लागत बहुत ज्यादा है।
कैसे मारे जाएंगे कीड़े
ससफायर प्रोजेक्ट पर स्पेन, जर्मनी, स्लोवेनिया और ब्रिटेन के वैज्ञानिक काम कर रहे हैं। अभी तक फसल बचाने के लिए कीटनाशक का इस्तेमाल किया जाता है। ससफायर प्रोजेक्ट के जरिए कीड़ों को फसल से दूर ले जाया जाएगा और फिर उन्हें बाहर ही खत्म भी कर दिया जाएगा। इस तरह किसी फसल में कीटनाशक का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।जिस जगह फसल लगाई गई है उसके बाहर ऐसे पौधे लगाए जाएंगे जो कीड़ों को अपनी तरफ आकर्षित कर सकें और उन पर बैठते ही मर जाएं। इन पौधों को ‘सेक्सी पौधों’ का नाम दिया जाएगा।
पौधे बनाने में लगेंगे पांच साल
नवारो के मुताबिक, ‘हमने ‘निकोटिआना बेंथामिआना’ प्रकार के पौधे के जरिए फेरोमोन्स बनाने में सफलता पाई है। अब हमारे सामने सवाल है कि हम इसे कुछ और सामान्य प्रकार के पौधों में बनाने में सफलता हासिल कर पाते हैं या नहीं।’ फिलहाल, ससफायर प्रोजेक्ट की समयसीमा तीन साल तय की गई है।उसके बाद इस बात का आंकलन किया जाएगा कि अलग-अलग कंपनियां इस प्रोजेक्ट में कितनी दिलचस्पी दिखाती हैं। फिलहाल इसे पूरा होने में पांच साल तो लग ही जाएंगे।वे मानते हैं कि यह ‘सेक्सी पौधे’ कीटनाशकों की दुनिया में एक बड़ा बदलाव लेकर आएंगे।