भारतीय ज्योतिष में नवग्रह यानि नौ ग्रह गिने जाते हैं। ये हैं सूर्य, चंद्रमा, बुध, शुक्र, मंगल, गुरु, शनि, राहु और केतु। इनमें राहु, मूलतः राक्षस था जो समुद्र मंथन के समय अमृत पीकर अमर हो गया था। राहु, राक्षसी सांप का मुखिया है जो हिन्दू शास्त्रों के अनुसार सूर्य या चंद्रमा को निगलते हुए ग्रहण को उत्पन्न करता है। राहु तमस असुर है। राहु का कोई धड़ नहीं है, क्योंकि अमृत वितरण के समय राहु के देवों की पंक्ति में बैठकर अमृत पान करने पर श्रीहरि विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से इसका वध कर दिया। यही कटा हुआ सिर राहु और धड़ केतु कहलाया। ज्योतिष शास्त्र में राहु को आठ काले घोड़ों द्वारा खींचे जाने वाले रथ पर सवार माना जाता है।
ज्योतिष में राहुकाल अर्थात राहु के सिर कटने के समय को अशुभ माना जाता है। अतः इस काल में शुभ कार्य नहीं कि जाते हैं। यहां प्रस्तुत है सप्ताह के दिनों पर आधारित राहुकाल का समय, जिसके देखकर आप अपना दैनिक कार्य कर सकते हैं।
वार |
राहु काल का समय |
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रविवार | सायं 4:30 से 6:00 बजे तक। |
सोमवार | प्रात:काल 7:30 से 9:00 बजे तक। |
मंगलवार | अपराह्न 3:00 से 4:30 बजे तक। |
बुधवार | दोपहर 12:00 से 1:30 बजे तक। |
गुरुवार | दोपहर 1:30 से 3:00 बजे तक। |
शुक्रवार | प्रात:10:30 से दोपहर 12:00 तक। |
शनिवार | प्रात: 9:00 से 10:30 बजे तक। |
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