भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार। इस साल यह 2 और 3 सितंबर को मनाया जा रहा है।
ज्योतिषों के अनुसार 2 सितंबर (रविवार) को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत स्मार्तों का है और वैष्णवों का का व्रत 3 सितंबर को है। शास्त्रों के मुताबिक भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में भगवान श्रीकृष्ण ने देवकी और वासुदेव के पुत्ररूप में जन्म लिया। जन्माष्टमी के दिन दूर-दूर से श्रद्धालु मथुरा पहुंचते है। मंदिरों को खास तौर पर सजाया जाता है। इस दिन लड्डू गोपाल को झूले में झुलाया जाता है और उनकी पूजा की जाती है।
ज्योतिष के अनुसार अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र दोनों ही 2 सितंबर को शुरू हो रहे हैं और 3 सितंबर को खत्म हो रहे हैं इसलिए 3 सितंबर को व्रत रखना अच्छा माना जा रहा है।
अष्टमी तिथि- 2 सितंबर, 2018 को रात्रि 8:47 बजे से अष्टमी तिथि शुरू
3 सितंबर, 2018 को सायंकाल 17:19 बजे तक स्माप्त
रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ- 2 सितंबर, 2018 को रात्रि 8:48 बजे से रोहिणी नक्षत्र शुरु
3 सितंबर, 2018 को रात्रि 8:04 बजे तक खत्म
इस बार पड़ रहे हैं ये उत्तम योग
जैसा कि शास्त्रों के माध्यम से स्पष्ट होता है कि भगवान श्री कृष्ण के जन्म के समय चंद्र ,गुरु,मंगल ,अपनी अपनी उच्च राशि मे ,सूर्य ,शुक्र स्वगृही विद्यमान थे साथ ही चतुर्थ भाव मे बुधादित्य योग का निर्माण हो रहा था । इस वर्ष भी जन्म के समय सूर्य सुख का एवं शुक्र लग्न का कारक होकर अपनी स्वराशि में विद्यमान रहेंगे साथ ही सप्तम भाव का कारक ग्रह मंगल एवं पराक्रम भाव का कारक ग्रह चंद्र अपनी-अपनी उच्च राशि मे विद्यमान रहेंगे। सिंह राशि मे ही बुधादित्य योग भी बनेगा । साथ ही राहु के तीसरे भाव मे विद्यमान रहने से उत्तम योगो का निर्माण होगा । इस प्रकार जयंती योग के साथ मालव्य, यामिनिनाथ योग, रविकृत राजयोग, बुधादित्य योग अति फल दायक होंगे।