आरक्षण का विरोधआंवला (बरेली)। सवर्णों को अब उनकी अनदेखी सहन नहीं हो पा रही है। अन्य राजनीतिक दलों की तरह भारतीय जनता पार्टी ने भी वोट बैंक की राजनीति के चलते सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ जाते हुए एससी-एसटी एक्ट में जो बदलाव किये हैं, वे उसे भारी पड़ने जा रहे हैं। अब सवर्ण भारतीय जनता पार्टी के सीधे विरोध में उतर आये हैं। इससे भाजपा को एससी वोट मिले या नहीं लेकिन उसका परम्परागत सवर्ण वोट जरूर कटेगा। विरोध की ये चिंगारी उठी है आंवला लोकसभा क्षेत्र के गांव अतरछेड़ी से।

जगह-जगह लगाए गए बैनर

आंवला लोकसभा क्षेत्र की तहसील आंवला के गांव अतरछेड़ी के वाशिंदो ने निर्णय लिया है कि एससी-एसटी कानून के विरोध में अब उनका गांव नोटा का विकल्प चुनेगा। गांव में जगह-जगह लोगों को जागरूक करने के लिए बैनर व पोस्टर लगाए गए हैं। अपील की गई है कि सभी अगले 2019 के लोकसभा चुनावों में किसी भी दल को वोट नहीं करेगे।

गांव के ही राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक व आखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के नेता जयगोविंद सिंह ने बताया कि उनको भाजपा सरकार से ऐसी उम्मीद नहीं थी, सवर्ण बाहुल्य गांव अतरक्षेडी ने हमेशा से भाजपा को वोटिंग की है। उनके गांव का 90 प्रतिशत वोट भाजपा को गया है, परन्तु भाजपा ने सवर्णों के साथ धोखा किया है। गांव के लोग इससे बहुत व्यथित हैं और आगामी लोकसभा चुनावों में नोटा का प्रयेग करेंगे।

उन्होंने कहा कि दो दशक पूर्व सांसद राजवीर सिंह के पास आरक्षण के विरोध में उनके गांव का एक शिष्टमंडल गया था। तब राजवीर िंसह ने आश्वस्त किया था कि वह लोक सभा में उनकी बात दमदारी के साथ रखेंगे। लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ भी नहीं किया जब 1994 के लोकसभा चुनावों मं राजवीर िंसह ने उनके ग्राम में आकर वोट मांगे तो अतरछेड़ी सहित आस-पास के दर्जनों गांवों ने उनका विरोध किया। इसके परिणामस्वरूप वह चुनाव हार गए तथा दुबारा सांसद नहीं चुने जा सके।

आरक्षण के विरोध में मुदित प्रताप सिंह ने किया था आत्मदाह का प्रयास

आरक्षण के विरोध में 90 के दशक में जब जनता पार्टी की सरकार ने यह एक्ट लागू किया था तो गांव के ही छात्रनेता मुदित प्रताप सिंह ने बरेली के अयूब खां चौराहे पर मिटटी का तेल स्वयं पर डाल कर आग लगा ली थी। अगले दिन निसोई रेलवे स्टेशन पर एक गाड़ी की बोगी में आरक्षण के विरोध में आंदोलनकारियें ने आग लगा दी। उसका मुकद्दमा अभी कुछ दिनों पूर्व ही खत्म हुआ है। उन्होंने कहा कि आरक्षण विरोध की यह चिंगारी आगामी समय में और गांवों में फैलैगी।

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