आंवला। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा चलायी गांवों के विद्युतीकरण की ‘‘सौभाग्य योजना’’ भी ग्रमीणों का दुर्भाग्य नहीं काट सकी। बिजली विभाग के अफसरों और कारिन्दों के कारनामों से ग्रामीणों के जीवन से अंधेरा खत्म ही नहीं हो रहा। इन ग्रामीणों के साथ भद्दा मजाक करते हुए बिजली विभाग ने घरों में बिजली फिटिंग के बाद मीटर टांग दिये। रसीद भी काट दी लेकिन इन घरों को बिजली का कनेक्शन नहीं दिया। परिणामस्वरूप दीवारों के टंगे मीटरों को देखकर घर में मिट्टी के तेल का दीया जलाने को मजबूर हैं ग्रामीण।
मामला आंवला क्षेत्र के गांव अतरछेड़ी का है। इस गांव के कई ग्रामीणों के जीवन में सौभाग्य योजना ने आशा की किरण जगायी। इसी से इन लोगों ने प्रधानमंत्री की सौभाग्य योजना के तहत घर में बिजली कनेक्शन के लिए आवेदन किया। विभाग ने रसीदें काट दीं। आवेदन स्वीकार किया और कुछ ही दिनों में घरों की दीवारों पर बिजली के मीटर भी टांग दिये गये। यानि कि कागजों में कनेक्शन पूरा हो गया।
वास्तविकता ये है कि ये ग्रामीण आज भी अंधेरे में जीवन जीने को मजबूर हैं। रात को ये मिट्टी के तेल के दीये की रोशनी में जीने को अभिशप्त हैं। कारण ये कि मीटर तो टांग दिये लेकिन उनमें बिजली का कनेक्शन नहीं दिया। ग्रामीणों ने कई बार अधिकारियों से शिकायतें कीं लेकिन नतीज ढाक के तीन पात ही रहा।
राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक ने की जांच की मांग
अतरछेड़ी के राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त सेवानिवृत्त शिक्षक जय गोविन्द सिंह ने मामले की जांच की मांग अधिकारियों से की है। बताया कि भारत सरकार ने 25 सितम्बर 2017 को सौभाग्य योजना शुरू की थी। इसके तहत ग्रामीणों के जीवन से दुर्भाग्यपूर्ण अंधेरा दूर कर सौभाग्य की रोशनी लाना था। यानि निर्बल आय वर्ग के लोगों के घरों का विद्युतीकरण किया जाना था। इस योजना के तह गांव के सुखवीर सिंह, विजय कुमार सिंह, अजय कुमार सिंह, और अंजू सिंह पत्नी सुधांशु समेत अनेक लोगों ने बीते सितम्बर माह में आवेदन किया। 15 दिन बाद ने इन आवेदकों के घरों में मीटर लगा दिये। साथ ही एक रसीद काटकर देदी।
खास बात ये है कि रसीद पर किसी के हस्ताक्षर नहीं हैं। इसमें 30 मीटर केबिल दिखाकर 10 से 15 मीटर ही दिया गया। रसीद में बल्ब देना दिखाया गया है लेकिन बल्ब किसी को दिया नहीं गया। इतना ही नहीं सभी के रजिस्टर्ड मोबाइल नम्बरों पर बिजली कनेक्शन चालू होने का मैसेज भी आ गया। जबकि किसी के भी घरों में लाइन खींची ही नही गयी। लोग आज भी अंधेरे में जीवन जीने को मजबूर हैं।
शिक्षक जय गोविन्द सिंह ने जिलाधिकारी से सौभाग्य योजना में हो रहे घपले की जांच की मांग की है। इधर आंवला के एक्जीक्यूटिव इंजीनियर अनिल कुमार मिश्रा ने मामले से पूरी तरह अनभिज्ञता जताते हुए जांच कराने की बात कही है।