हर-हर गंगे : कार्तिक पूर्णिमा परबरेली। कार्तिक पूर्णिमा पर शुक्रवार तड़के रामगंगा तट पर लगे चौबारी मेले में आस्था का जनसैलाब उमड़ पड़ा। दूरदराज से आए श्रद्धालुओं ने रामगंगा में डुबकी लगाई और भगवान से सुख-समृद्धि की आराधना की। इस दौरान बरेली के चौबारी मेले में एक बालक समेत दो लोग डूब गए। अंधेरे में ही हजारों श्रद्धालुओं का रेला घाट की ओर चल पड़ा। ऐहतियातन पुलिस ने भारी वाहनों को तट की तरफ जाने से रोक दिया था।

इस बार बैराज की तरफ पानी गहरा होने की वजह से तट की लंबाई कम रखी गई थी। पुलिस ने बल्लियां लगाकर रस्सी बांधी थी। श्रद्धालुओं को निर्देश थे कि रस्सी के इस पार ही स्नान करें। लोगों ने शुभ मुहूर्त में रामगंगा में स्नान व किनारे पर पूजा-पाठ किया। उसके बाद गरीबों को दान दिया। सुबह श्रद्धालुओं की भीड़ के चलते चौबारी मेले की तरफ जाने वाले रास्ते पर लंबा जाम भी लग गया।

जमकर हुई घोड़ों की खरीद-फरोख्त

रामगंगा चौबारी मेले में घोड़ों की खूब बिक्री हुई। 10 हजार रुपये से लेकर पांच रुपये तक के घोड़े मेले में बिकने आए थे। बदायूं, एटा, अलीगढ़, कासगंज, शाहजहांपुर, सीतापुर, हरदोई आदि जगह से घुड़सवारी के शौकीन लोग मेले में पहुंचे। दो दिन में 200 से 250 घोड़ों की बिक्री हुई। मेले में घोड़ों की रेस भी हुई। कुछ तो ऐसे घोड़े थे, जो अपने मालिक की आवाज सुनते ही दौड़कर भीड़ में भी पहुंच जा रहे थे।

जाम खुलवाने में छूटा पुलिस का पसीना

लालफाटक पर पुलिस निर्माण के चलते महेशपुरा क्रासिंग से करगैना तक जाम की समस्या रही। गंगा स्नान का पर्व था। एक भी गाड़ी गुजरती तो चंद समय में ही हजारों वाहनों की लाइन लग जाती थी। जाम की समस्या तड़के से रात तक बनी रही। हालांकि सड़क पर जगह-जगह ट्रैफिक पुलिस और संबंधित थानों का फोर्स तैनात रहा। कुछ विशेष टीमें भी गश्त पर रहीं। कई बार तो ऐसा जाम लगा, जिसे खुलवाने में पुलिस के पसीने छूट गये।

जान हथेली पर रखकर किया सफर

रामगंगा रेलवे स्टेशन पर श्रद्धालुओं के कारण जबर्दस्त भीड़ रही। अप-डाउन की गाड़ियों का बुरा हाल था। बैठना तो दूर कोच गेट पर खड़ा होना तक मुश्किल था। ऐसे में श्रद्धालुओं ने जान हथेली पर रखकर ट्रेन में सफर किया। कपलिंग पर खड़े हो गए। सैकड़ों तो ट्रेन की छत पर चढ़ गए। बदायूं, आंवला, विशातरगंज के हजारों श्रद्धालुओं ने कोचों की छतों पर बैठकर यात्री की।

घाटों पर व्यवस्थाओं की कमी

दूर से रामगंगा में स्नान करने आए श्रद्धालुओं ने घाटों पर अव्यवस्थाओं को जमकर कोसा। जिस तरह से हर साल उचित व्यवस्थाएं की जाती थीं। इस बार प्रशासन ने रुचि नहीं ली। गिने-चुने घाट बनाए गए। सुरक्षा व्यवस्थाओं में भी कमी दिखी। नाविक भी कम थे। घाटों पर भी गंदगी के कारण श्रद्धालुओं में आक्रोश था।

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