बहराइच। काफी समय से कई मुद्दों पर अपने ही पार्टी की नीतियों पर सवाल उठाची रहीं बहराइच से सांसद सावित्री बाई फुले ने अंततः भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। वह 2014 में नरेंद्र मोदी की लहर में सांसद चुनी गई थीं। इससे पहले उन्होंने 2012 में बहराइच के बेल्हा से भाजपा के टिकट पर विधानसभा का भी चुनाव लड़ा था।
नानपाराकी निवासी सावित्री बाई बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर के 63वें महानिर्वाण दिवस पर भाजपा को यह झटका दिया है। भाजपा का दलित चेहरा सावित्री बाई बीते काफी समय से अपने विवादित बयानों और पार्टी को घेरने को लेकर चर्चा में रही हैं। इसके चलते धीरे-झीरे वह पार्टी में हाशिये पर पहुंच गई थीं
भाजपा पर उपेक्षा का आरोप
सावित्री बाई फुले ने भाजपा पर दलित विरोधी का भी आरोप लगाया है। कहा- मेरी उपेक्षा हुई है। अब भाजपा और उसके संगठनो से मेरा कोई लेनादेना नही है। जब तक जिंदा रहूंगी भाजपा में वापस नहीं जाऊंगी।
सावित्री बाई ने दो दिन पहले भी एक विवादित बयान देकर खलबली मचा दी थी। आरोप लगाया भाजपा देश का संविधान बदलने की कोशिश कर रही है और देश को मनुस्मृति के अनुसार चलाना चाहती है। उन्होंने कहा था कि भाजपा दलित, पिछड़ा व मुस्लिम विरोधी है और आरक्षण खत्म करने की साजिश रच रही है।
बहराइच के दौरे पर मंगलवार को ही उन्होंने भगवान राम के खिलाफ बेहद अभद्र टिप्पणी की थी। श्रीराम को मनुवादी और हनुमान को मनुवादियों का गुलाम बताया था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हनुमान जी को दलित बताने के बयान पर तंज कसा था। राम मंदिर निर्माण पर सवाल उठाते हुए कहा था कि राम मंदिर प्रदेश के तीन फीसदी ब्राह्मणों की कमाई का धंधा है।