arrestedकानपुरभारतीय रेलवे में भर्ती के लिए होने वाली ग्रुप-डी परीक्षा में प्रश्नपत्र हल करने वाले एक बड़े सॉल्वर गैंग का एसटीएफ ने शनिवार को पर्दाफाश कर दिया। गिरोह के एक सरगना समेत 10 लोगों को महानगर के कल्याणपुर क्षेत्र से गिरफ्तार कर लिया गया। पकड़े गए लोगों से मोबाइल फोन, फर्जी वोटर आइडी कार्ड, रेलवे भर्ती के एडमिट कार्ड आदि बरामद हुए हैं।

एसटीएफ के कानपुर परिक्षेत्र प्रभारी घनश्याम यादव के मुताबिक मुरादाबाद में टीईटी में सॉल्वर की गिरफ्तारी के बाद कानपुर से गिरोह के तार जुड़े होने के संकेत पर टीम कई दिनों से तलाश में जुटी थी। शनिवार को एसटीएफ टीम ने रेलवे भर्ती ग्रुप-डी की परीक्षा में सॉल्वर बिठाने में जुटे गिरोह के सरगना समेत 10 लोगों को पकड़ लिया। इनमें राहुल कुमार पुत्र गणेश निवासी नवाबगंज प्रयागराज, तथा साल्वरों में महेश कुमार यादव पुत्र श्रीप्रसाद निवासी मारोंना सुपौल बिहार, प्रवेश यादव पुत्र रामप्रसाद निवासी मरोंना सुपौल बिहार, सुनील कुमार शाह पुत्र सत्यनारायण निवासी परिकोच मरोंना सुपौल बिहार, ललित कुमार पुत्र उपेंद्र यादव निवासी तुलसियाही सुपौल बिहार, अजय कुमार पुत्र अशोक ताँती निवासी बरी बहारी नालन्दा बिहार, विकास कुमार पुत्र गांधीप्रसाद मालाकार निवासी सिलाव नालन्दा बिहार शामिल हैं। भर्ती परीक्षा देने वाले मुकेश कुमार सिंह पुत्र स्व. उमाशंकर निवासी भोरे गोपालगंज बिहार, अजय कुमार यादव पुत्र जयकरन सिंह खिजिरपुर नवाबगंज प्रयागराज व रामबाबू पाल पुत्र शंकरलाल निवासी राजूपुर झूसी प्रयागराज को भी पकड़ा है।

पकड़े गए लोगों के पास से 11 मोबाइल फोन, 21 एडमिट कार्ड, एक फर्जी वोटर आई कार्ड, पांच ब्लैंक चेक, तीन ड्राइविंग लाइसेंस, एक पेटीएम कार्ड, छह एटीएम कार्ड, तीन पैनकार्ड, 19 आधार कार्ड, एक मोटरसाइकिल, एक स्कूटी व 56 हजार रुपये बरामद हुए हैं।

 

वसूलते थे पांच से छह लाख रुपये
पूछताछ में समाने आया है कि प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रश्नपत्र आउट कराकर व साल्वर बैठाकर प्रत्येक अभ्यर्थी से पांच से छह लाख रुपये तक वसूले जाते थे। यह गैंग उत्तर प्रदेश सहित कई अन्य राज्यों में भी अलग-अलग परीक्षाओं में अपने कंडीडेट का पेपर हल करवाता था।

गिरोह का मुख्य सरगना रंजीत यादव व गुड्डू यादव पटना में किराए के कमरे में रहते थे।  रंजीत मूलरूप से मधुबनी बिहार का रहने वाला है। पटना के साइबर कैफे में मनोज व राहुल मिलकर फर्जी प्रवेश पत्र व फोटो बनाने का काम करते हैं। गिरोह के लिए रंजीत, जितेन्द्र व गुड्डू रुपये वसूलने का काम करते थे। परीक्षा के लिए संबंधित राज्य के सरगना के साथ साल्वर को परीक्षा केंद्रों में भेजते थे। निगरानी करने के लिए वे केंद्र पर मौजूद रहते थे ताकि साल्वर बिना परीक्षा दिए भाग न जाए।

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