मोदी सरकार बैंकों और मोबाइल फोन सेवा प्रदाता कंपनियों को ग्राहकों के E-KYC के लिए आधार का विकल्प फिर से देने जा रही है। हालांकि यह अनिवार्य नहीं होगा।
नई दिल्ली। केंद्र सरकार बैंकों और मोबाइल फोन सेवा प्रदाता कंपनियों को ग्राहकों के E-KYC के लिए आधार का विकल्प फिर से देने जा रही है, हालांकि यह अनिवार्य नहीं होगा। आधार कानून में संशोधन कर सरकार ग्राहकों के लिए इन सेवाओं में आधार का इस्तेमाल वैकल्पिक कर रही है। अर्थात यदि ग्राहक चाहे तो वह बैंकों और मोबाइल सिम के E-KYC के लिए आधार का इस्तेमाल कर सकता है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के इस आशय के एक प्रस्ताव पर सोमवार को मुहर लगा दी। इसकी औपचारिक घोषणा संसद में की जाएगी। इस आशय का विधेयक संसद के मौजूदा सत्र में ही पेश किया जा सकता है। प्रस्ताव के मुताबिक इसके लिए प्रिवेन्शन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) और टेलीग्राफ एक्ट में भी संशोधन किया। संशोधन के बाद पीएमएलए के तहत आधार को वैध दस्तावेज की मान्यता मिल जाएगी।
लोगों के पास होगा आधार के इस्तेमाल का विकल्प
संसद से कानून बन जाने के बाद लोगों के पास बैंक खातों और मोबाइल सिम खरीदने के लिए आधार के इस्तेमाल का विकल्प भी होगा। इसी साल 26 सितंबर को आधार की अनिवार्यता के मसले पर ऐतिहासिक निर्णय देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी से मिलने वाली विभिन्न सब्सिडी और छात्रवृत्तियों को छोड़कर बाकी चीजों के लिए आधार की अनिवार्यता समाप्त कर दी थी। देश की शीर्ष अदालत ने आधार अधिनियम की धारा 57 को ही समाप्त कर दिया था जिसके तहत केंद्र व राज्य सरकार और कंपनियों को ई-केवाइसी के लिए आधार मांगने का अधिकार मिला था।