भारतीय इंजीनियरों के कौशल और तकनीक की मिसाल इस पुल की मियाद कम से कम 120 वर्ष आंकी गई है। इसके निर्माण पर 5,900 करोड़ रुपए का खर्च आया है।
बोगीबील। प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने मंगलवार को यहां देश का सबसे लंबा व एशिया का दूसरा सबसे बड़ा रेल-सड़क पुल राष्ट्र को समर्पित किया। दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर पुल के उद्घाटन से पहले मोदी ने प्रदर्शनी का अवलोकन किया और पुल की खूबियां जानीं। इसके पश्चात वह पुल पर पहुंचे और पैदल और कार के जरिये भी इसका जायजा लिया। इस दौरान प्रधानमंत्री ने नीचे रेल लाइन पर खड़ी तिनसुकिया-नाहरलगुन इंटरसिटी एक्सप्रेस में सवार यात्रियों का भी हाथ हिलाकर अभिवादन किया।
मोदी दोपहर करीब डेढ़ बजे असम के डिब्रूगढ़ पहुंचे थे। यह पुल और रेल सेवा धेमाजी के लोगों के लिए अति महत्वपूर्ण होने जा रही है क्योंकि मुख्य अस्पताल, मेडिकल कॉलेज और हवाई अड्डा डिब्रूगढ़ में हैं। इस पुल से ईटानगर के लोगों को भी लाभ मिलेगा क्योंकि यह इलाका नाहरलगुन से केवल 15 किलोमीटर की दूरी पर है।
भारतीय इंजीनियरों के कौशल और तकनीक की मिसाल इस पुल की मियाद कम से कम 120 वर्ष आंकी गई है। इसके निर्माण पर 5,900 करोड़ रुपए का खर्च आया है। मुख्य अभियंता मोहिंदर सिंह ने बताया कि ब्रह्मपुत्र नदी पर बना 4.9 किलोमीटर लंबा पुल देश का पहला पूर्णरूप से जुड़ा पुल है। पूरी तरह से जुड़े पुल का रखरखाव काफी सस्ता होता है. इससे असम से अरुणाचल प्रदेश के बीच की यात्रा दूरी घट कर चार घंटे रह जाएगी। इसके अलावा दिल्ली से डिब्रूगढ़ रेल यात्रा का समय तीन घंटे घट कर 34 घंटे रह जाएगा।