काठमांडू। मई-जून में जब सूरज आग उगलने लगता है, खासकर उत्तर भारत के लोगों का देश के हिमालयी राज्यों के साथ ही नेपाल-भूटान आदि का रुख करना कोई नई बात नहीं है। यह चलन हाल के वर्षों में यह तेजी से बढ़ते हुए भेड़चाल जैसा हो गया है। हालात बड़े खतरे का संकेत दे रहे हैं। भीड़भाड़ और वाहनों के दबाव और इसी के अनुपात में संसाधनों के बढ़ते दोहन के चलते शिवालिक से लेकर उच्च हिमालयी क्षेत्र तक सभी जगह गर्मी बढ़ रही है। दुनिया की इस सबसे बड़ी और बर्फीली पर्वत श्रृंखला पर खतरा मंडराने लगा है। एक अध्ययन में दावा किया गया है कि बढ़ते तापमान के कारण ग्लेशियरों के पिघलने की रफ्तार दोगुनी हो गई है। साढ़े छह सौ ग्लेशियरों पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है।

साइंस एडवांसेज जर्नल में प्रकाशित शोध के अनुसार 1975 से 2000 के बीच ये ग्लेशियर हर साल 10 इंच घट रहे थे  जबकि 2000-2016 के दौरान सालाना 20 इंच तक घटने लगे। इससे करीब आठ अरब टन पानी की क्षति हो रही है। अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय की अर्थ इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने उपग्रह से लिये गए 40 साल के चित्रों को आधार बनाकर यह शोध किया है। ये चित्र अमेरिकी जासूसी उपग्रहों की ओर से लिये गए थे। सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि ये तस्वीरें भारत, चीन, नेपाल और भूटान के हिस्से में पड़ने वाले हिमालय के  650 ग्लेशियर की हैं।  

एक तरफ हिमालय पर जमा बर्फ तेजी से पिघल रही है, वहीं दूसरी तरफ भारत सहित अन्य आसपास के देशों में तेजी से जल दोहन हो रहा है। इससे पृथ्वी में जल स्तर काफी नीचे जा रहा है। धरती पर पानी की कमी से तापमान प्रभावित हो रहा है जिसका सीधा असर हिमालय पर पड़ रहा है। वैज्ञानिकों के अनुसार हिमालय के ज्यादा तेजी से पिघलने पर समुद्र का जल स्तर बढ़ेगा जो सीधे-सीधे मानव आबादी को प्रभावित करेगा। इसके चलते धरती की पारिस्थिति तंत्र (Eco system) में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है. खतरा किस तरह बढ़ रहा है, इसे नेपाल सरकार द्वारा गुरुवार को किए गए दावे से समझा जा सकता है। नेपाल सरकार का कहना है कि दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर बड़ी संख्या में पर्वतारोहियों की मौत सिर्फ भीड़भाड़ होने की वजह से ही नहीं हुई हैं, बल्कि इसके पीछे बेहद ऊंचाई पर होने वाली बीमारियां, दूसरे स्वास्थ्य कारण और प्रतिकूल मौसम भी कारक हैं। अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने इस साल माउंट एवरेस्ट पर अब तगक मरने वालों की संख्या 11 बताई है जो इसे 2015 के बाद सबसे खतरनाक बनाता है। हालांकि नेपाल के पर्यटन अधिकारियों के मुताबिक इस सीजन में हिमालय में कुल मिलाकर 16 पर्वतारोहियों की जान गई जबकि एक लापता है। इन 16 पर्वतारोहियों में से चार भारतीय पर्वतारोहियों की मौत 8,848 मीटर की ऊंचाई वाले माउंट एवरेस्ट पर हुई जबकि माउंट कंचनजंघा और माउंट मकालू में भी दो-दो भारतीय पर्वतारोहियों की जान गई।

error: Content is protected !!