नई दिल्ली। मुस्लिम समाज में एक बार में तीन तलाक की प्रथा पर रोक लगाने के मकसद से जुड़़ा नया विधेयक सरकार ने शुक्रवार को लोकसभा में पेश किया गया। पिछले महीने 16वीं लोकसभा का कार्यकाल पूरा होने के बाद पिछला विधेयक निष्प्रभावी हो गया था क्योंकि यह राज्यसभा में लंबित था। दरअसल, लोकसभा में किसी विधेयक के पारित हो जाने और राज्यसभा में उसके लंबित रहने की स्थिति में निचले सदन (लोकसभा) के भंग होने पर वह विधेयक निष्प्रभावी हो जाता है। वोटिंग के बाद तीन तलाक पर इस नए बिल के समर्थन में कुल 186 जबकि विरोध में 74 वोट पड़े।

केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री और भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने तीन तलाक बिल 2019 लोकसभा में पेश करने के बाद कहा कि लोगों ने हमें कानून बनाने के लिए चुना है। कानून बनाना हमारा काम है। तीन तालक के पीड़ितों को न्याय देना कानून का काम है। मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा की जाएगी। यह महिलाओं के न्याय और सशक्तिकरण के बारे में है।

रविशंकर प्रसाद ने कहा कि वह सारी आपत्तियों का जवाब देंगे। हम पूरी तरह से संविधान की प्रक्रिया के तरह यह तीन तलाक बिल लाये हैं। ये सवाल न सियासत है न पूजा का है न धर्म का है। यह सवाल नारी न्याय और नारी गरिमा का है। आजादी के 70 साल बाद जब भारत का संविधान है तो फिर किसी भी महिला के साथ तीन तलाक क्यों?  उन्होंने कहा कि हमें लगता था कि चुनाव में हारने के बाद ये इस पर सोचेंगे मगर ये फिर हंगामा कर रहे हैं। मैं इस बिल को पेश करता हूं। 

कांग्रेस ने तीन तलाक बिल का कांग्रेस ने विरोध किया। कांग्रेसे के शशि थरूर ने कहा कि इस बिल से महिलाओं की जिंदगी नहीं बदलेगी। कांग्रेस की ओर से कहा गया कि इस बिल में कई खामिया हैं, इसलिए इस बिल को स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजा जाए। बिल में ऐसी बहुत सी बातें हैं जो संविधान के खिलाफ हैं। 

एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन औवेसी ने बिल का विरोध करते हुए कहा कि तीन तलाक बिल से सिर्फ मुस्लिम पुरुषों को सजा मिलेगी। उन्होंने सवाल किया कि सरकार को सिर्फ मुस्लिम महिलाओं से हमदर्दी क्यों है, केरल की हिन्दू महिलाओं की चिंता वह क्यों नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को असंवैधानिक ठहराया है। ओवैसी ने कहा कि तीन तलाक बिल संविधान के खिलाफ है और मुस्लिम महिलाओं के भी खिलाफ है। उन्होंने कहा कि तीन तलाक पर कानून बनने के बाद पीड़ित महिलाओं के ऊपर जो बोझ पड़ेगा।

जेडीयू की भी सरकार से अलग राय

केंद्र की भाजपा सरकार के सहयोगी जेडीयू ने भी इस मसले पर अपनी अलग राय रखी है। जेडीयू महासचिव केसी त्यागी का कहना है कि राजग में तीन तलाक़ बिल के बारे में कभी कोई चर्चा नहीं हुई है। यह नाज़ुक मसला है लिहाज़ा इसमें सभी पक्षों से बात कर आम सहमति बनाने की कोशिश करनी चाहिए। त्यागी ने स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी मौजूदा स्वरुप में तीन तलाक़ बिल का समर्थन नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने लॉ कमीशन को इस बारे में बताया था।

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