अखिलेश यादव पिछली बार प्रधानमंत्री के रूप में मुलायम सिंह यादव को आगे कर रहे थे। वह स्पष्ट करें कि इस बार प्रधानमंत्री पद के लिए उनकी नजर में मुलायम हैं या बसपा प्रमुख मायावती।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सपा और बसपा के गठबंधन के चुनाव पर असर संबंधी सवालों को खारिज कर दिया। दोनों के एकजुट होने का राज्य की राजनीति पर कोई असर नहीं पड़ने का दावा करते हुए कहा कि अच्छा है कि दोनों दल एक हो गए हैं। अब भाजपा को इन्हें कायदे से ‘निपटाने‘ में मदद मिलेगी। उन्होंने यहां तक कहा कि सपा और बसपा अलग-अलग दल क्यों हैं, दोनों का विलय कर दीजिए।
रविवार को यहां एक कार्यक्रम में योगी ने कहा, ‘‘सपा-बसपा के गठबंधन का मतलब, भ्रष्टाचारी, जातिवादी मानसिकता वाले अराजक और गुंडों को सीधे-सीधे सत्ता देकर जनता को उसके भाग्य पर छोड़ देने जैसा है। मैं कह सकता हूं कि इस गठबंधन का प्रदेश की राजनीति पर कोई असर नहीं होने वाला है। अच्छा हुआ दोनों एक हो गए हैं। हमें इनको कायदे से निपटाने में मदद मिलेगी।’’
कोई चुनौती नहीं है सपा-बसपा गठबंधन
योगी ने कहा, ‘गठबंधन कोई चुनौती नहीं है। मैं सपा मुखिया अखिलेश यादव से पूछना चाहता हूं कि प्रधानमंत्री के रूप में पिछली बार वह मुलायम सिंह यादव को आगे कर रहे थे। वह स्पष्ट करें कि इस बार प्रधानमंत्री पद के लिए उनकी नजर में मुलायम हैं या बसपा प्रमुख मायावती। चुनाव के पहले नेता भी स्पष्ट होने चाहिए। नेतृत्वविहीन गठबंधन को जनता खारिज करेगी।‘
योगी ने कहा कि सपा और बसपा ने 1993 से लेकर 1995 तक उत्तर प्रदेश में मिलकर सरकार चलायी। दोनों दलों को प्रदेश में पूर्ण बहुमत की सरकार चलाने का अवसर भी मिला। दोनों की कार्यपद्धति को सबने देखा। इन्होंने समाज में जातिवाद का जहर घोला, भ्रष्टाचार और दंगों की आग में प्रदेश को झोंका।
अयोध्या विवाद के बारे में योगी ने कहा कि भाजपा ने पहले ही कहा था कि वह संविधान के दायरे में रहकर इस समस्या का समाधान करेगी। इसका समाधान भी कोई करेगा तो भाजपा ही करेगी। जिन लोगों ने समस्या पैदा की है वे इसका समाधान नहीं कर सकते।