जस्टिस मेनन और जस्टिस नंद्राजोग के नामों की सिफारिश दिसंबर में की गई थी। अब कोलीजियम ने 20-25 दिनों के बाद अचानक यू-टर्न ले लिया है।

नई दिल्‍ली। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाने की कोलीजियम की सिफारिश पर अब बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने भी सवाल उठाए हैं। BCI के अध्यक्ष एमके मिश्रा ने बुधवार को कहा कि कोलीजियम की सिफारिश से कई जजों के बीच कड़ी नाराजगी है। जस्टिस मेनन और जस्टिस नंद्राजोग के नामों की सिफारिश दिसंबर में की गई थी। अब कोलीजियम ने 20-25 दिनों के बाद अचानक यू-टर्न ले लिया है। मिश्रा ने कहा कि हमारा एक प्रतिनिधिमंडल कोलीजियम से मिलकर इस सिफारिश पर पुनर्विचार करने और इस फैसले को वापस लेने के लिए कहेगा। यदि ऐसा नहीं किया गया तो हम धरने पर बैठेंगे।

गौरतलब है कि इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश कैलाश गंभीर ने भी न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी को सुप्रीम कोर्ट जज बनाने की कोलेजियम की सिफारिश पर सवाल उठाए थे। गंभीर ने वरिष्ठता की अनदेखी का मुद्दा उठाते हुए राष्ट्रपति को पत्र भी लिखा था। 14 जनवरी को लिख गए इस पत्र में न्यायपालिका की विश्वसनीय स्वतंत्रता संरक्षित करने के साथ ही दूसरी ऐतिहासिक भूल न होने देने का आग्रह किया गया है। कोलीजियम ने गत 10 जनवरी को कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दिनेश महेश्वरी और दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश संजीव खन्ना को सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश बनाने की सिफारिश की थी। इससे पहले 12 दिसंबर को भी कोलीजियम बैठी थी और उसने कुछ निर्णय भी लिए थे लेकिन उन पर ज्यादा विचार-विमर्श नहीं हो पाया था। इसके बाद जब पांच और छह जनवरी को बैठक हुई तब तक जस्टिस मदन बी. लोकूर सेवानिवृत्त हो चुके थे और उनकी जगह न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा शामिल हो चुके थे। यह बात कोलीजियम की सिफारिश में दर्ज है। 

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