नई दिल्‍ली। बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) आदि के भारी विरोध के बावजूद राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बुधवार को कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्‍यायाधीश दिनेश माहेश्‍वरी और दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश संजीव खन्ना को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्‍त कर दिया।

बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने न्यायमूर्ति संजीव खन्ना को सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त करने की कोलीजियम की सिफारिश का विरोध करते हुए इस फैसले को “सनकी और मनमाना” करार दिया था। BCI के अध्यक्ष एमके मिश्रा ने कहा था कि कोलीजियम की सिफारिश से कई जजों के बीच कड़ी नाराजगी है। जस्टिस मेनन और जस्टिस नंद्राजोग के नामों की सिफारिश दिसंबर में की गई थी। अब कोलीजियम ने 20-25 दिनों के बाद अचानक यू-टर्न ले लिया है। मिश्रा ने कहा था कि हमारा एक प्रतिनिधिमंडल कोलीजियम से मिलकर इस सिफारिश पर पुनर्विचार करने और इस फैसले को वापस लेने के लिए कहेगा। यदि ऐसा नहीं किया गया तो हम धरने पर बैठेंगे। गौरतलब है कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया भारत में वकीलों का सर्वोच्च निकाय है।

दिल्ली हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश कैलाश गंभीर ने भी न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाने की कोलेजियम की सिफारिश पर सवाल उठाए थे। गंभीर ने वरिष्ठता की अनदेखी का मुद्दा उठाते हुए राष्ट्रपति को पत्र भी लिखा था। 14 जनवरी को लिख गए इस पत्र में न्यायपालिका की विश्वसनीय स्वतंत्रता संरक्षित करने के साथ ही दूसरी ऐतिहासिक भूल न होने देने का आग्रह किया गया था। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश संजय किशन कौल ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई व कोलीजियम के अन्य सदस्यों न्यायमूर्ति एके सीकरी, एसए बोबडे, एनवी रमना और अरुण मिश्रा को एक नोट लिखकर कहा था कि राजस्थान और दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों प्रदीप नंदराजोग और राजेंद्र मेनन की वरिष्ठता की अनदेखी की गई है।

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