विवादित स्थल के पास की जमीन का अधिग्रहण करने संबंधी 1993 के केंद्रीय कानून की संवैधानिक वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। कहा गया है कि राज्य सूची के विषयों की आड़ में राज्य की भूमि का केंद्र अधिगृहण नहीं कर सकता।   

नई दिल्ली। अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में नया मोड़ आ गया है। विवादित स्थल के पास की जमीन का अधिग्रहण करने संबंधी 1993 के केंद्रीय कानून की संवैधानिक वैधता को सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। स्वयं के रामलला का भक्त होने का दावा करने वाले एक समूह ने यह याचिका दायर की है। इस याचिका में दलील दी गई है कि राज्य की सूची के विषयों की आड़ में राज्य की भूमि केंद्र अधिगृहीत नहीं कर सकता। संसद राज्य की भूमि का अधिग्रहण करने के लिए कानून बनाने में सक्षम नहीं है। याचिका में कहा गया है कि राज्य की सीमा के भीतर धार्मिक संस्थाओं के प्रबंधन के लिए कानून बनाने का अधिकार राज्य विधानमंडल के पास है।

इस याचिका में हिंदू महासभा और कमलेश कुमार तिवारी ने लैंड एक्वीजिशन एक्ट की वैधता पर सवाल उठाया है। याचिका में कहा गया है कि राज्य की राज्य सूची के विषयों की आड़ में राज्य की जमीन को केंद्र अधिगृहीत नहीं कर सकता। 1993 में केंद्र की नरसिंहराव सरकार ने जिस एक्ट की तहत 67.7 एकड़ जमीन अधिगृहीत की थी, वह एक्ट बनाना संसद के अधिकार क्षेत्र में नहीं था। याचिका में कहा गया है कि भूमि और कानून व्यवस्था राज्य सूची के विषय हैं। केंद्र को कानून बनाकर राज्य की भूमि अधिगृहीत करने का अधिकार नहीं है। याचिका में सवाल उठाया गया है कि जब अधिग्रहण ही अवैध है तो जमीन वापस देने में क्या परेशानी है?

गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव-2019 से पहले अयोध्या मुद्दे पर मोदी सरकार भी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। केंद्र सरकार की ओर से दाखिल की गई अर्जी में कहा गया है कि कुल 67 एकड़ जमीन का सरकार ने अधिग्रहण किया था जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश दिया था। दूसरी ओर जमीन का विवाद सिर्फ 0.313 एक़ड़ का है, बाकी जमीन पर कोई विवाद नहीं है। इसलिए उस पर यथास्थिति बरकरार रखने की जरूरत नहीं है। सरकार चाहती है जमीन का बाकी हिस्सा राम जन्मभूमि न्यास को दिया जाए और सुप्रीम कोर्ट इसकी इज़ाजत दे।

दरअसल, नरसिंहराव राव सरकार ने विवादित 0.313 एकड़ भूमि के साथ ही 67 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था। इस्माइल फारुकी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ही कहा है कि जो जमीन बचेगी उसे उसके सही मालिक को वापस करने के लिए केंद्र सरकार ड्यूटी बाउंड है। इसमें 40 एकड़ ज़मीन राम जन्मभूमि न्यास की है।

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