चुनाव आयोग ने इसके लिए कानून मंत्रालय को पत्र लिखकर जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुच्छेद 126 में संशोधन करके इसका बढ़ाने की बात कही है।

नई दिल्ली। चुनाव वाले क्षेत्र में अब तक मतदान से 48 घंटे पहले प्रचार पर रोक का प्रावधान है। चुनाव आयोग अब इसका दायरा बढ़ाना चाहता है। आयोग ने इसके लिए कानून मंत्रालय को पत्र लिखकर जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुच्छेद 126 में संशोधन करके इसका दायरा सोशल माडिया, इंटरनेट, केबल चैनल और प्रिंट मीडिया के ऑनलाइन संस्करणों तक बढ़ाने की बात कही है।

दरअसल, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुच्छेद 126, “इलेक्शन साइलेंस” की बात कहता है। इसके अनुसार चुनाव वाले क्षेत्र में मतदान से 48 घंटे पहले प्रचार पर रोक लग जाती है। इसके साथ ही चुनाव आयोग ने जन प्रतिनिधित्व अधिनियम में अनुच्छेद 126(2) भी जोड़ने की बात की है जिसके अंतर्गत “इलेक्शन साइलेंस” का दायरा बढ़ने के बाद उल्लंघन पर कार्रवाई हो पाएगी।

चुनाव आयोग ने केंद्र सरकार को करीब तीन सप्ताह पहले इस बाबात पत्र लिखा था जिसमें उसने इस पर जल्द विचार करने का भी आग्रह किया था जिससे इसे इस साल होने वाले आम चुनाव (लोकसभा चुनाव-2019) में लागू किया जा सके।
जन प्रतिनिधित्व अधिनियम का अनुच्छेद 126  मतदान से 48 घंटे पहले जनसभा और टेलीविजन  प्रचार पर रोक लगाता है। बीती 17 जनवरी को कानून सचिव को लिखे पत्र में चुनाव आयोग ने प्रिंट मीडिया को भी इसके अंदर लाने की बात कही थी। आयोग के अनुसार वर्तमान में उम्मीदवार “इलेक्शन साइलेंस” के दौरान भी प्रिंट मीडिया के माध्यम से प्रचार करते हैं। कई बार तो यह मतदान के दिन भी जारी रहता है। लेकिन, इस मामले में अब तक कोई खास प्रगति नहीं हुई है। संसद का बजट सत्र जो मौजूद लोकसभा का अंतिम सत्र भी है, 13 फरवरी को खत्म हो रहा है।

आयोग का पत्र समिति की रिपोर्ट पर आधारित

चुनाव आयोग ने केंद्र सरकार को जो पत्र भेजा है, वह जन प्रतिनिधित्व कानून के अनुच्छेद 126 की समीक्षा करने के लिए बनाई गई समिति की रिपोर्ट पर आधारित है। 10 जनवरी को सौंपी गई इस रिपोर्ट में 48 घंटे पूर्व लगने वाले इस बैन का दायरा बढ़ाने की सिफारिश की गई है। इसमें यह बात भी शामिल है कि कोई भी अदालत अनुच्छेद 126(1) के अंतर्गत होने वाले उल्लंघनों का स्वतः संज्ञान नहीं ले सकती, जब तक कि चुनाव आयोग या राज्य चुनाव अधिकारी इसकी अनुशंसा नहीं करता।

चुनाव आयोग मीडिया को नए सिरे से परिभाषित करते हुए जन प्रतिनिधित्व कानून में अनुच्छेद 126(2) भी जोड़ना चाहता है, जिसके अंतर्गत इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में इंटरनेट, रेडियो, टेलीविजन, केबल चैनल, प्रिंट मीडिया के इंटरनेट या डिजिटल संस्करण आते हैं। जबकि, प्रिंट मीडिया में समाचारपत्र-पत्रिकाएं और प्लेकार्ड शामिल हैं।

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