इस विवाद का उल्लेख करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बीती आठ मार्च को कहा था कि प्रक्रिया की सफलता सुनिश्चित करने के लिए ‘अत्यंत गोपनीयता’ बनाई रखी जानी चाहिए।
लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित तीन सदस्यीय पैनल ने बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि विवाद को सुलझाने के लिए मध्यस्थता की प्रक्रिया शुरू कर दी है। बुधवार को इस पैनल की पहली बैठक अवध विश्वविद्यालय परिसर में स्थित गेस्ट हाउस में हुई। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति एफएमआई कलीफुल्ला के नेतृत्व वाले इस पैनल में आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीराम पंचू भी शामिल हैं।
इस विवाद का उल्लेख करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बीती आठ मार्च को कहा था कि प्रक्रिया की सफलता सुनिश्चित करने के लिए ‘अत्यंत गोपनीयता’ बनाई रखी जानी चाहिए। शीर्ष अदालत ने इस प्रक्रिया को आठ सप्ताह के भीतर पूरा किए जाने की बात भी कही थी।
इससे पहले ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना सैय्यद राबे हसनी नदवी, और महासचिव मौलाना वली रहमानी की मौजूदगी में मंगलवार को लखनऊ के नदवा कालेज में हुई बोर्ड की बाबरी मस्जिद से संबंधित कमेटी की बैठक में बोर्ड नेतृत्व ने इस मामले पर अपना रुख एक बार फिर दोहराते हुए कहा कि विवाद पर बोर्ड का जो रुख पहले रहा है, आज भी वह उस पर कायम है। उसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है। बैठक में अयोध्या विवाद में प्रमुख मुस्लिम पक्षकार उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन जुफर फारूकी, इकबाल अंसारी, महबूब अली और मुस्लिम पक्ष से प्रमुख वकील जफरयाब जीलानी, शमशाद अहमद, फुजैल अय्यूबी आदि भी शामिल हुए थे।
पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि अयोध्या मसले को लेकर गठित तीन सदस्यीय मध्यस्थ पैनल में शामिल आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर अयोध्या विवाद पर पहले अपना रुख स्पष्ट करें। बैठक में शामिल बाबरी मस्जिद के मुद्दई इकबाल अंसारी ने बाद में पत्रकारों से कहा कि श्री श्री रविशंकर ने अयोध्या मामले को लेकर विवादित बयान दिया था। उस विवाद के बाद साधु-संत भी उनके खिलाफ हो गए थे। हम भी साधु-संतों के साथ हैं और उस विवादित बयान को लेकर श्री श्री रविशंकर का विरोध करते हैं।