nasa-logoवाशिंगटन। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा द्वारा मंगल पर मानव मिशन भेजने के लिए तैयार किए गए रॉकेट स्पेस लॉंच सिस्टम (एसएलएस) की पहली परीक्षण उड़ान से 13 नैनो उपग्रह भेजे जाएंगे। एसएलएस नासा के स्पेस शटल प्रोग्राम की जगह लेगा और इसकी पहली प्रायोगिक उड़ान 2018 में होने की संभावना है।

इसे एक्सप्लोरेशन मिशन-1 नाम दिया गया है और इसके जरिए ओरियन अंतरिक्षयान के साथ-साथ 13 नैनो उपग्रह को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। यह उड़ान वर्ष 2023 में भेजे जाने वाले मानव मिशन का मार्ग प्रशस्त करेगी क्योंकि ओरियन अंतरिक्षयान के जरिए मानव को मंगल पर भेजा जाएगा।

एसएलएस रॉकेट की परीक्षण उड़ान से भेजे जाने वाले नैनो उपग्रहों में से प्रत्येक का वजन करीब दो पौंड है। ये उपग्रह सुदूर अंतरिक्ष में मानव मिशन भेजने के दौरान मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव का भी अध्ययन करेंगे। इनमें लॉकहीड मार्टिन द्वारा तैयार किया गया स्काईफायर भी शामिल है, जो चंद्रमा के करीब से गुजरेगा और इस पर लगे सेंसर आंकड़े एकत्र करेंगे। इसी तरह लूनर फ्लैशलाइट चांद की अंधेरी सतह पर लेजर डालकर बर्फ की जानकारी हासिल करेगा। लूनर आइसक्यूब चंद्रमा की सतह से 62 मील की ऊंचाई पर चक्कर काटते हुए बर्फ और दूसरे संसाधनों की खोज करेगा। लूनाएच-मैप चंद्रमा के गड्ढों और दक्षिण ध्रुव में हाइड्रोजन का पता लगाएगा। दूसरे नैनो उपग्रह तो इससे भी आगे जाएंगे।

ajmera BL 2016-17एमईए स्काउट पृथ्वी के करीब मौजूद एक क्षुद्रग्रह की स्थिति का पता लगाएगा जबकि बायोसेंटीनल कठिन पर्यावरण में सूक्ष्म जीवाणुओं के जीवित रहने का ज्ञान जुटाएगा। इसके अलावा सहयोगी देशों के तीन और नासा के क्यूब क्वेस्ट चैलेंज के तीन विजेताओं के उपग्रह भी एसएलएस के जरिए प्रक्षेपित किए जाएंगे।

ईएम-1 का एक ऐतिहासिक पहलू यह भी है कि पहली बार किसी महिला को लॉन्च की कमान सौंपी गई है। नासा की एसएलएस टीम चार्ली ब्लैकवेल थॉमसन को पहले ही ट्विटर पर इसकी बधाई दे चुकी है।

 

By vandna

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