mark zukerbergनई दिल्ली। नेट न्यूट्रैलिटी पर भारतीय टेलीकॉम नियामक (ट्राई) के फ़ैसले पर फ़ेसबुक के संस्थापक मार्क ज़करबर्ग ने निराशा जताई है।

उन्होंने कहा है कि वो भारत समेत दुनिया भर में कनेक्टिविटी के रास्ते की बाधाओं को तोड़ने का काम जारी रखेंगे।

ट्राई के फ़ैसले के बाद ज़करबर्ग ने फ़ेसबुक पर लिखा, ”इंटरनेट डॉट ओआरजी ने कई पहल की थी और सबके पास इंटरनेट की पहुंच होने तक हम काम करना जारी रखेंगे।”

उन्होंने कहा, ”भारत के टेलीकॉम नियामक ने डेटा तक मुफ़्त पहुंच की सुविधा देने वाले फ्री बेसिक्स योजना को रोकने का फ़ैसला किया। इसने इंटरनेट डॉट ओआरजी की पहल फ्री बेसिक्स और डेटा तक मुफ़्त पहुंच देने के अन्य संगठनों की योजना को भी रोक दिया।”

इस फ़ैसले से निराश ज़करबर्ग ने लिखा है, ”हालांकि हम इस फैसले से निराश हैं। लेकिन मैं निजी तौर पर यह बाताना चाहता हूँ कि हम भारत और दुनिया भर में कनेक्टिविटी के रास्ते की बाधाओं को तोड़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इंटरनेट डॉट ओआरजी ने कई पहल की है और हम यह काम तब तक करते रहेंगे जब तक सबकी पहुंच इंटरनेट तक नहीं बन जाती।”

ट्राई ने सोमवार को नेट न्यूट्रैलिटी का समर्थन करते हुए कहा कि इंटरनेट कंपनियों को अलग-अलग क़ीमत पर सेवाएं देने की इजाज़त नहीं होगी। ट्राई के इस फ़ैसले से भारत में बड़े पैमाने पर लोगों तक फ्री इंटरनेट पहुंचाने की फ़ेसबुक इंक की योजना को झटका लगा है।

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फ्री बेसिक्स योजना चंद वेबसाइटों को निःशुल्क पहुंच की सुविधा देता है। इन मुफ़्त वेबसाइटों में कुछ स्थानीय समाचार और मौसम अनुमान, बीबीसी, विकिपीडिया और कुछ हेल्थ साइटें शामिल थीं।

ट्राई के अध्यक्ष आरएस शर्मा ने कहा कि इंटरनेट सेवा देने वाली कंपनियों को अलग-अलग वेबसाइटों के लिए अलग अलग शुल्क लेने की इजाज़त नहीं होगी। ट्राई ने कहा कि हालांकि आपात स्थिति में ऐसा किया जा सकता है। इसका मतलब ये हुआ कि फेसबुक के फ्री बेसिक्स को भारत में अमल में नहीं लाया जा सकेगा।

मार्क ज़करबर्ग ने फ्री बेसिक्स को लेकर व्यापक अभियान चलाया था। उन्होंने सोशल मीडिया यूज़र्स से इसके समर्थन में ट्राई से अपील करने को कहा था। नेट न्यूट्रैलिटी को लेकर काफी विवाद रहा है। इसके समर्थकों का तर्क है कि इंटरनेट के दायरे के बाहर रहने वाले लाखों लोगों को इससे निःशुल्क जोड़ा जा सकता है।

वहीं फ्री बेसिक्स के आलोचकों का तर्क है कि फ्री बेसिक्स, नेट न्यूट्रैलिटी के सिद्धांत का उल्लंघन है। नेट न्यूट्रैलिटी का मतलब है कि इंटरनेट सबके लिए समान रूप से पहुंच में हो। ट्राई ने कहा है कि अलग-अलग शुल्क लगाने वाले सेवा देने वाली कंपनियों पर प्रतिदिन 50 हज़ार रुपए का जुर्माना लगेगा।

फ़ेसबुक ने इंटरनेट डॉट ओआरजी नाम से 2013 में फ्री बेसिक्स परियोजना की शुरुआत की थी। इस योजना को अब तक 36 देशों में लागू किया जा चुका है। कंपनी का दावा है कि इस योजना से वो डेढ़ करोड़ लोग इंटरनेट से जुड़े, जो इसके बिना इंटरनेट से नहीं जुड़ पाते।

By vandna

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