नई दिल्ली। सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा की खास स्थिति नौ मार्च को दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में खगोलप्रेमियों को पूर्ण सूर्यग्रहण का रोमांचक नजारा दिखायेगी। लेकिन भारत में इस ‘खगोलीय त्रिमूर्ति’ की अद्भुत लुकाछिपी पूर्वोत्तर में आंशिक तौर पर निहारी जा सकेगी।
उज्जैन की प्रतिष्ठित जीवाजी वेधशाला के अधीक्षक डॉ. राजेंद्रप्रकाश गुप्त ने भारतीय संदर्भ में किये गये विशेष अध्ययन के हवाले से बताया कि 9 मार्च को लगने वाले पूर्ण सूर्यग्रहण से इस साल ग्रहणों का सिलसिला शुरू होगा। उन्होंने बताया, ‘यह पूर्ण सूर्यग्रहण डिब्रूगढ़, इम्फाल, ईटानगर और पूर्वोत्तर के कुछ अन्य स्थानों पर आंशिक रूप में देखा जा सकेगा जहां देश के दूसरे हिस्सों के मुकाबले सूर्योदय काफी जल्दी हो जाता है। कोई दो सदी पुरानी वेधशाला के अधीक्षक ने बताया कि यह पूर्ण सूर्यग्रहण थाईलैंड, इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया, जापान और ऑस्ट्रेलिया में भी देखा जा सकेगा। इंडोनेशिया का सुमात्रा द्वीप और प्रशांत महासागर का उत्तरी क्षेत्र उन जगहों में शामिल हैं, जहां इस खगोलीय घटना को शुरूआत से अंत तक अच्छी तरह निहारे जा सकने की उम्मीद है।
गुप्ता ने बताया कि भारतीय मानक समय (आईएसटी) के मुताबिक पूर्ण सूर्यग्रहण की शुरूआत 9 मार्च को तड़के 4 बजकर 49 मिनट चार सेकंड पर होगी और यह सुबह 10 बजकर चार मिनट नौ सेकंड पर समाप्त हो जायेगा। इस तरह सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा की दिलचस्प भूमिका वाला खगोलीय घटनाक्रम करीब पांच घंटे चलेगा।
उन्होंने बताया कि पूर्ण सूर्यग्रहण सुबह 7 बजकर 27 मिनट एक सेकंड पर अपने चरम स्तर पर पहुंच जायेगा। इस वक्त पृथ्वीवासियों को लगेगा कि चंद्रमा ने सूर्य को पूरी तरह ढंक लिया है। पूर्ण सूर्यग्रहण तब होता है, जब सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा कुछ इस तरह आ जाता है कि पृथ्वी से देखने पर सूर्य पूरी तरह चंद्रमा की ओट में छिपा प्रतीत होता है।