police mock drillबरेली, 4 सितम्बर। अति संवेदनशील जिले की पुलिस को दंगा नियंत्रण शस्त्र चलाना नहीं आता है। यहां तक कि जवान बॉडी प्रोटेक्टर तक सही समय पर नहीं पहन सके। पुलिस को इन हथियारों से वाकिफ कराने के लिए मॉक ड्रिल आयोजित की गई तो सारी सच्चाई सामने आ गई। तय हुआ कि अगले शुक्रवार को पूरी तैयारी के साथ थाना स्तर पर मॉक ड्रिल होगी।

पंचायत चुनाव आने वाले हैं। इससे पहले पुलिस किसी भी हालात से निपटने के लिए कितनी मुस्तैद है, यह परखने के लिए पुलिस महानिरीक्षक लखनऊ के निर्देश पर शुक्रवार को पुलिस लाइंस में मॉक ड्रिल की गई। जवानों को आधुनिक शस्त्र दिए गए मगर वे तय समय में चला नहीं सके।

पुलिस लाइंस के आरआइ ओमपाल सिंह के अनुसार भीड़ नियंत्रण के लिए कब कौन सा उपकरण चलाना है। बंदूक को किस ऊंचाई पर चलाना है। इसकी जानकारी बहुत जरूरी है। अगर दंगाई 10 गज की दूरी पर हैं तो आंसू गैस स्प्रे का इस्तेमाल किया जाता है। जबकि भीड़ 70 गज की दूरी पर हो तो प्लास्टिक की गोली वाली एंटी राइट गन का प्रयोग किया जाता है।

महिलाओं और बच्चों की भीड़ नियंत्रण के लिए पुलिस को स्टन सेल की जानकारी दी गई। इसका इस्तेमाल 100 गज की दूरी से किया जा सकता है। इसकी गोली भीड़ के ऊपर धमाके के साथ फटती है। जिससे भीड़ में दहशत पैदा होती है। टियर गन गैस का प्रयोग किया गया। यह 100 से 135 गज की दूरी में भीड़ को तितर-बितर करने में कारगर है। इसकी रबर की गोलियों का प्रयोग होता है। पंप एक्शन गन में पांच गोलियों की मैगजीन लगाकर फायर सबसे ज्यादा हुआ।

कप्तान ने की सबसे ज्यादा फायरिंग

मॉक ड्रिल में सबसे ज्यादा फायरिंग कप्तान ने ही की। पंप एक्शन गन से एक के बाद एक फायर किये। तकरीबन सभी हथियारों का इस्तेमाल उन्होंने मॉक ड्रिल में किया। पुलिस का दावा है कि सभी थानों के पुराने असलहे बदलकर नए दिये गये हैं। शहर और गांव के सभी थानों में जिन हथियारों में दिक्कत थी। उनकों भी ठीक करने का दावा पुलिस कर रही है।

मॉक ड्रिल में सभी 29 थानों के जवानों के अलावा एसएसपी धर्मवीर, एसपी सिटी समीर सौरभ, एसपी ट्रेफिक ओपी यादव, सभी क्षेत्राधिकारी, थानों के एसओ और एसएचओ मौजूद रहे।

जागरण.काम से साभार
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