न्यूयॉर्क। अमेरिका की एक अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि भारतीय-अमेरिकी योग गुरु बिक्रम चौधरी खुद की तरफ से बनाए गए विशेष कक्ष में किए जाने वाले योगासनों और श्वांस संबंधी अभ्यासों को लेकर कॉपीराइट सुरक्षा पाने के हकदार नहीं हैं। कैलिफोर्निया में गुरुवार को कोर्ट ऑफ अपील्स फॉर द नाइंथ सत्र की तीन जजों की एक पीठ ने न्यूयार्क स्थित ‘इवोलेशन योगा’ के पक्ष में अपना फैसला सुनाया, जिनके खिलाफ चौधरी ने 2011 में एक मुकदमा दायर किया था।
मुकदमे में चौधरी ने दावा किया था कि इवोलेशन के संस्थापक मार्क ड्रोस्ट और उनकी पत्नी जेफी सैमसन ने उनकी योग प्रणाली की नकल की है। उनका योग मुद्राओं का क्रम पूरी तरह से उनकी योग मुद्राओं के क्रम से मेल खाता है। चौधरी के अनुसार यह उनके कॉपीराइट का उल्लंघन। अपीलीय अदालत ने अपने फैसले में कहा कि चौधरी द्वारा विकसित योग के आसन और श्वांस से संबंधी अभ्यास के क्रम कॉपीराइट सुरक्षा के अधिकारी नहीं हैं क्योंकि ‘यह एक विचार की अभिव्यक्ति के बजाय एक विचार, प्रकिया या सेहत सुधारने का तरीका है।’ उन्होंने कहा, ‘चूंकि कॉपीराइट सुरक्षा विचारों की अभिव्यक्ति तक सीमित है और बिक्रम का योग मुद्राओं के लिए कॉपीराइट सुरक्षा की मांग करना उचित विषय नहीं है।
अदालत ने कहा कि भारत की योग विधा और योग दर्शन हजारों वर्ष पुराना है और भागवत् गीता सहित प्राचीन हिंदू वेदों से लिया गया है। योगाभ्यास से शरीर एवं मस्तिष्क पर नियंत्रण करने की आध्यात्मिक कला में पारंगत हुआ जाता है।
एजेन्सी