नयी दिल्ली, 15 अक्टूबर। देश की उच्चतम न्यायालय ने आधार कार्ड के प्रयोग को लेकर केंद्र सरकार को राहत दी है। न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक उच्चतम न्यायालय ने मनरेगा, सभी प्रकार के पेंशन स्कीम, जन धन योजना और ईपीएफ में ऐच्छिक रूप से आधार कार्ड का प्रयोग करने की मांग को ऐच्छिक रूप से मंजूर किया है।
उच्च्तम न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि आधार कार्ड का प्रयोग किया जाना पूरी तरह से ऐच्छिक होगा। इसको जब तक अंतिम निर्णय नहीं हो जाता है तब तक अनिवार्य रूप से लागू नहीं किया जा सकता है।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी है कि पूरे देश भर में पहचान के लिए करोड़ो लोग आधार कार्ड का प्रयोग ही कर रहे हैं। भारत में अभी 92 करोड़ लोग आधार कार्ड का प्रयोग कर रहे हैं। इसकी तुलना में देश में पासपोर्ट धारकों की संख्या 5.5 करोड़, पैन कार्ड का प्रयोग करने वालों की संख्या 17 करोड़, 60 करोड़ वोटर आईडी कार्ड, 15 करोड़ राशन कार्ड और 17.3 करोड़ लोगों के पास ड्राइविंग लाइसेंस हैं।
आधार कार्ड की मदद से सरकार को करीब 2600 करोड़ रुपए के फर्जी दावों को पकड़ने में सुविधा हुई, इससे सरकार का करोड़ो रुपए का घाटा होने से बच गया। आधार कार्ड की मदद से भ्रष्टाचार रोकने में बड़े स्तर पर मदद मिल रही है। यह बात केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कही है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट आधार कार्ड की अनिवार्यता को लेकर पहले ही सवाल उठा चुका है।
मनरेगा स्कीम के तहत करीब 9 करोड़ लोगों में से 3 करोड़ लोगों को आधार लिंक्ड बैंक खातों में ही मेहनताना दिया जाता है। देश भर में 87,000 बैंकिंग कॉरस्पोंडेंट के जरिए 1 करोड़ लोगों को सरल तरीके से जल्द से जल्द पैसा मिल जाता है।
अगर सरकार ने आधार के प्रयोग को प्रतिबंधित किया तो करोड़ो मनरेगा श्रमिकों को पैसे पाने में दिक्कत होगी। साथ ही पेंशन सहित कई अन्य योजनाओं में पैसे का वितरण सही से नहीं हो पाएगा। प्रधानमंत्री जन धन योजना के तहत खोले गए 18 करोड़ खातों में करीब 7 करोड़ खाते आधार कार्ड के आधार पर खोले गए हैं।