कोलकाता 17 अक्टूबर। बांग्लादेश की लेखिका तस्लीमा नसरीन अक्सर अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहती हैं। एक बार फिर उन्होंने एक ऐसा बयान दिया है जिसमें उन्होंने भारत के लोगों को हिदु विरोधी कहा है।
तस्लीमा का यह बयान भारत में लेखकों की ओर से साहित्य अकादमी पुरस्कार को लौटाने पर प्रतिक्रिया स्वरूप आया है। तस्लीमा ने बड़ी बेबाकी से कहा है भारत में लोग हिंदु विरोधी और मुसलमान समर्थक हैं। तस्लीमा ने दादरी हादसे पर भी प्रतिक्रिया दी है।
तस्लीमा ने कहा है कि भारतीय लेखकों का पुरस्कार लौटाना सही है लेकिन उन्हें नहीं मालूम कि वे विरोध के लिए दोहरा रवैया क्यों अपनाते हैं। तस्लीमा ने कहा है कि भारत में ज्यादातर सेक्युलर प्रो-मुस्लिम और एंटी हिंदू हैं। वे हिंदू कट्टरपंथियों का विरोध करते हैं लेकिन जब कोई मुस्लिम कट्टरपंथी ऐसा करता है तो उसके डिफेंस में आगे आ जाते हैं।
यहां पर तस्लीमा ने अपना उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि जब पश्चिम बंगाल में उनकी किताब को बैन किया गया था तो उस समय सारे लेखक चुप थे। जब उनके खिलाफ फतवे जारी हो रहे थे तो भी किसी ने कुछ नहीं कहा। उन्हें पश्चिम बंगाल से बाहर निकाल दिया गया और दिल्ली में हाउस अरेस्ट कर रखा गया। उनके खिलाफ हुई ज्यादतियों पर किसी ने भी कुछ नहीं कहा।
तस्लीमा के मुताबिक लेखकों ने नाइंसाफी के खिलाफ अपने पुरस्कार लौटाने का फैसला लिया है और इसमें कोई बुराई नहीं है। साथ ही तस्लीमा ने सरकार के उस बयान को भी खारिज कर दिया जिसमें इस विरोध को एक गढ़ा हुआ आंदोलन कहा गया था। तस्लीमा ने साफ कहा कि दादरी जैसी घटनाएं उन्हें डराती हैं। तस्लीमा की मानें तो ‘भारत में नेता मुस्लिमों को आकर्षित करने वाले बयान देते हैं औरा इससे हिंदू नाराज होते हैं।
हालांकि, इस बात में भी सच्चाई है कि कई बार मुस्लिमों को केवल इसलिए परेशान किया जाता है क्योंकि वे मुस्लिम हैं। उन्होंने चेतावनी देने के अंदाज में कहा कि अगर स्थिति नहीं सुधरी तो भारत के मुसलमान बांग्लादेश या फिर पाकिस्तान जैसे देशों में चले जाएंगे।