नागपुर। दादरी जैसी घटनाओं पर देश में पैदा नाराजगी के माहौल के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को कहा कि ‘छोटी छोटी घटनाएं’ ‘हिंदू संस्कृति’ को नुकसान नहीं पहुंचा सकती। उन्होंने साथ ही देश में उम्मीद और विश्वास का माहौल पैदा करने तथा विदेश में भारत की प्रतिष्ठा मजबूत करने के लिए मोदी सरकार की सराहना की। साथ ही, भागवत ने अपने बहुप्रतीक्षित दशहरा संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनके इस पद पर आने के बाद से देश में आशा व उत्साह का माहौल है।
यहां संघ के मुख्यालय में दशहरा पर्व पर अपने वार्षिक संबोधन में भागवत ने आरक्षण व्यवस्था के संदर्भ में गरीब वर्गो के पेशतर सामाजिक और आर्थिक असमानता दूर करने के मकसद से संविधान में किए गए प्रावधानों के लिए दलित महानायक बी आर अम्बेडकर की सराहना की।
भागवत ने हिंदुवादी संगठन के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए गुरुवार को कहा कि पूरे समाज से भेदभाव खत्म करना चाहिए। भागवत ने कहा कि हम समाज में एक दूसरे का पूरक बनकर चलें। आज पूरे देश में उम्मीद का वातावरण बना है। उन्होंने कहा कि अपने हित की रक्षा करें और दूसरे के हित का ध्यान रखें। सारे धर्म आपस में आत्मीयता बनाए रखें। नए भारत के लिए लोगों को मानसिक दासता छोड़नी होगी। भारत में सभी पंथ और संप्रदाय का सम्मान होता है, ऐसे में हमें विविधताओं का ध्यान रखना होगा। भारत के पास परंपरा और संतुलन के कई मॉडल हैं। सबसे मधुर संबंध बनाए रखने जरूरी हैं। उन्होंने नेताओं को नसीहत देते हुए कहा कि आज कई नेता सामाजिक सदभाव की उपेक्षा कर रहे हैं। हमें संस्कार, नैतिकता और कर्तव्यबोध को ध्यान में रखना चाहिए। हम सभी संप्रदाय और मानव जाति के विकास की बात करते हैं। विचार और विचारधारा अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन सभी लोगों को मिलकर चलना जरूरी है। लोगों में मतभेद हो सकते हैं लेकिन सभी को मिलकर चलना ही होगा।
संघ प्रमुख ने कहा कि लोगों में एक विश्वास बना है, विश्व में भारत की प्रतिष्ठा बनी है। हमें भारत को दुनिया में नंबर एक बनाने की दिशा में सोचना चाहिए। भारत के नए रूप का निर्माण करना होगा। संपूर्ण भारत को एक दूसरे का पूरक बनाना है। आज पूरी दुनिया में भारत का नाम हो रहा है। भारत ने कई उतार चढ़ाव देखे हैं। हमें विदेशी संस्कृति का अनुसरण करने की जरूरत नहीं है। हमें विश्व को नेतृत्व देने वाला भारत बनाना है। इससे पहले भागवत ने पंडित दीनदयाल को याद किया और कहा कि पंडित दीनदयाल ने देश को राह दिखाई। उन्होंने एकात्म मानव दर्शन दिए।
आरक्षण व्यवस्था की समीक्षा संबंधी उनके हालिया सुझाव ने बिहार चुनाव में भाजपा को मुश्किल स्थिति में डाल दिया था। उनके 55 मिनट के भाषण का दूरदर्शन ने लगातार दूसरे साल सीधा प्रसारण किया जिसमें उन्होंने जनसंख्या पर एक संपूर्णता में विचार विमर्श का आह्वान किया और कहा कि इसका लगातार बढ़ते जाना एक बोझ बन गया है। भागवत ने कहा कि छोटी छोटी घटनाएं होती हैं। उन्हें बढ़ा चढ़ाकर पेश किया जाता है। छोटी छोटी घटनाएं होती रहती हैं लेकिन ये भारतीय संस्कृति, हिंदू संस्कृति को विकृत नहीं करती। प्राचीन काल से यह विभिन्नता का सम्मान करती है, एकता स्थापित करने के लिए भिन्नताओं के बीच समन्वय करती है, यह हिंदूत्व है।
उन्होंने कहा कि हमारा देश एकजुट रहा है और एकजुट रहेगा। संघ पिछले 90 साल से देश को हिंदुत्व के आधार पर एकजुट रखने के लिए काम करता आ रहा है। भागवत ने हालांकि सांप्रदायिक और जातीय तनाव की हालिया घटनाओं का सीधा जिक्र नहीं किया। कई हिंदुत्ववादी तत्वों द्वारा मुस्लिम आबादी पर नियंत्रण लगाने की बार बार की जा रही मांग के बीच भागवत ने किसी समुदाय का नाम लिए बिना ‘सभी पर लागू होने वाली एक समान जनसंख्या नीति’ का समर्थन किया। उन्होंने इस बात पर खेद जताया कि जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए देश में कोई समग्र विचार विमर्श नहीं हुआ।
भागवत ने कहा कि आबादी बढ़ने के साथ देश पर बोझ बढ़ेगा। जनसंख्या में वृद्धि एक दौलत भी है। यदि हमें अधिक लोगों का पेट भरना पड़ेगा तो हमारे पास काम करने के लिए भी ज्यादा हाथ होंगे। इसलिए हमें 50 सालों के लिए योजना बनानी होगी कि कैसे लोगों को शिक्षा और स्वास्थ्य उपलब्ध कराए जाए। केंद्र की सराहना करते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि सरकार ने लोगों के दिल में उम्मीद और विश्वास पैदा किया है जो कि पिछली सरकार के कार्यकाल में एकदम नीचे चला गया था। इसके साथ ही उन्होंने जन धन, स्वच्छ भारत और मुद्रा बैंक जैसी मोदी सरकार की पसंदीदा योजनाओं के बारे में भी बात की।
कई हिंदुत्ववादी तत्वों द्वारा मुस्लिम आबादी पर नियंत्रण लगाने की बार बार की जा रही मांग के बीच भागवत ने किसी समुदाय का नाम लिए बिना ‘सभी पर लागू होने वाली एक समान जनसंख्या नीति’ का समर्थन किया। उन्होंने इस बात पर खेद जताया कि जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए देश में कोई समग्र विचार विमर्श नहीं हुआ। भागवत ने कहा कि आबादी बढ़ने के साथ देश पर बोझ बढ़ेगा। जनसंख्या में वृद्धि एक दौलत भी है। यदि हमें अधिक लोगों का पेट भरना पड़ेगा तो हमारे पास काम करने के लिए भी ज्यादा हाथ होंगे। इसलिए हमें 50 सालों के लिए योजना बनानी होगी कि कैसे लोगों को शिक्षा और स्वास्थ्य उपलब्ध कराए जाए। आबादी के तेजी से बढ़ने का जिक्र करते हुए भागवत ने लोगों की मानसिकता बदलने के लिए वार्ता का आह्वान किया और कहा कि केवल कानूनों को लागू कर देना काफी नहीं है।
उन्होंने कहा कि संघ ने भारतीय राष्ट्र के विस्तार में ‘हिंदू संस्कृति’, ‘हिंदू पूर्वज’ और हिंदू भूमि’ की अपनी तीन आस्थाओं पर समाज को ‘एकजुट’ किया है और जोर दिया है कि यही ‘एकमात्र रास्ता’ है। भागवत ने लोगों से स्वयंसेवकों के तौर पर संघ में शामिल होने का आह्वान करते हुए कहा कि ये तीन आस्थाएं जो हमारे समाज को एकजुट करती हैं इनकी स्थापना करनी होगी। इसी के लिए संघ काम करता रहा है। यही एकमात्र रास्ता है जिसका कुछ परिणाम मिलेगा। यही समय है।
शिक्षा व्यवस्था के भगवाकरण के प्रयास के आरोपों के बीच भागवत ने कहा कि आम आदमी के लिए शिक्षा को सस्ता बनाने के लिए इस क्षेत्र में सुधार की जरूरत है। उन्होंने कहा कि शिक्षा का व्यावसायिकरण हर हालत में रूकना चाहिए। मौजूदा समय में एक आम आदमी कई कोर्सों को करने के बारे में सपना भी नहीं देख सकता। देश ऐसी शिक्षा के साथ तरक्की नहीं कर सकता जो केवल पेट भरने में मदद करे। यह सामाजिक जरूरतों पर आधारित होनी चाहिए, इसमें मूल्यों का समावेश और अंतर्विवेकशीलता होनी चाहिए।
आरएसएस प्रमुख इस दिन संगठन के वषर्भर के कार्यों का लेखा जोखा कार्यकर्ताओं के साथ साझा करते हैं और महत्वपूर्ण घटनाओं पर अपनी राय रखते हैं। हिंदू तिथि के अनुसार दशहरे के दिन ही आरएसएस का स्थापना दिवस भी होता है