बरेली, 22 जनवरी। पति से तंग एक युवती ने एक नाग को अपना पति बना लिया। वह इसी नाग से गर्भवती भी हुई। वह नाग रात में मनुष्य रूप में उस युवती के साथ रहता था और सवेरा होते ही नाग रूप में वापस जाकर अपने बिल में चला जाता था।
निराशा के घोर अंधेरे से उम्मीदों की रोशनी तक का यह सफर लोग दमसाधे देखते रहे। यह कहानी है विण्डरमेयर में चल रहे थिएटर फेस्ट में शुक्रवार को प्रस्तुत किये गये नाटक ‘नागमण्डल’ की। गिरीश कर्नाड द्वारा लिखित इस नाटक को चंडीगढ़ के कलाकारों ने नीलम मानसिंह के निर्देशन में मंच पर जीवन्त कर दिया।
जीवन के तमाम झंझावातों, इच्छाओं और संवेदनाओं को कलाकारों ने अपने कुशल अभिनय से शानदार मंचन किया। इन कलाकारों ने दर्शकों को शुरू से अंत तक बांधे रखा। शानदार लाइटिंग और बैकग्राउण्ड म्यूजिक ने इसमें चार चांद लगा दिये थे। नाटक का मंचन पंजाबी संगीत और बोली में किया गया था। अंत में कहानी दर्शकों के लिए कई सवाल छोड़ गई।
बता दें कि दयादृष्टि रंग विनायक रंगमंडल की ओर से आयोजित थिएटर फेस्ट का यह दूसरा दिन था।
नाटक की पटकथा एक नवविवाहिता के ईर्द-गिर्द घूमती है। कैसे, पति रात में उसके लिए देवता और दिन में दानव बन जाता है। मन में कई कल्पनाओं को संजोये नवविवाहिता हकीकत से दूर हो जाती है। उसकी ताई पति को वश में करने को नुस्खा देती है, जिसे वह शेषनाग के बिल में फेंक देती है। फिर उसकी कल्पनाओं में शेषनाग पति की भूमिका में पहुंच जाता है।
शेषनाग द्वारा मनुष्य रूप में युवती का प्रेम-आलिंगन का दृष्य को कलाकारों ने इतनी खूबसूरती के साथ निभाया कि दर्शक अभिभूत हो गये। युवती के गर्भवती होने पर पति अग्नि-परीक्षा को कहकर पंचायत बुलाता है। युवती नाग परीक्षा को कहती है और शेषनाग की मदद से पास हो जाती है।
आज के मुख्य अतिथि पुलस महानिरीक्षक विजय सिंह मीना रहे। उन्होंने मंचन की मुक्त कंठ से प्रशंसा की। इस अवसर पर डा. ब्रजेश्वर सिंह, डा. गरिमा सिंह, शिखा सिंह, शिवानी रेखी, कैप्टन राजीव ढींगरा, मनोज दीक्षित, डा. शालिनी अरोरा, नवीन कालरा आदि मौजूद रहे।