बरेली, 24 जनवरी। दयादृष्टि रंगविनायक रंगमंडल के तत्वावधान में चल रहे थिएटर फेस्ट में रविवार की शाम एक मस्तानी शाम रही। इस शाम बरेली के लोगों ने न केवल तवायफों का मुज़रा देखा बल्कि नौटंकी, कव्वाली और भी रंगमंच की कई विधाओं का रसपान एक ही प्याले से किया। इसने थिएटर प्रेमियों को इतना आनंदित कर दिया कि मंत्रमुग्ध से होकर सिर्फ एक के बाद एक प्रस्तुति में डूबते चले गये।
संगीत को किसी भाषा, देश या क्षेत्र की सीमा बांधा नहीं जा सकता। वह स्वयं में शाश्वत है। स्वर ही ब्रह्म है। इसीलिए संगीत से कई प्रयोग किये जा सकते हैं। इससे कुछ समझाया जा सकता है तो कुछ सुनाया भी जा सकता है। संगीत और कला के कई रूपों से सजा गुलदस्ता ‘स्टोरीज इन ए सांग्स’ विण्डरमेयर में रविवार की शाम दर्शकों के स्वागत में पेश किया गया। इसमें रंगमंच, साहित्य, इतिहास की गंभीरता दिखी तो हास्य की जीवन्तता ने दर्शकों को मंच से बांधे रखा।
शुभा मुदगल की परिकल्पना व सुनील शानबाग के निर्देशन में मुंबई के कलाकारों ने संगीत की कहानियों को रंगमंच के जरिए उभारा। मंच से संगीत के रूप के पीछे की कहानियों को दर्शकों के सामने किया गया। कलाकारों की संवाद अदायगी और गायकी अंदाज लाजवाब रहा। भारतीय शास्त्रीय संगीत हो या पाश्चात्य संगीत की कहानी कलाकारों ने बड़ी ही खूबसूरती से पेश की।
लखनऊ की कव्वाली, तवायफों का मुजरा़ (गीत-संगीत), बसंत पंचमी की उल्लास से भरी बासंती बयार हो या नौटंकी, इन सभी कई विधाओं का एक बुके बनाकर पेश किया गया। इतना ही नहीं भारतीय शास्त्रीय संगीत के प्रति विदेशियों में भी दीवानगी को बड़े ही शानदान तरीके से प्रस्तुत किया गया। इसी बीच परस्पर चुहलबाजी भरे डायलाॅग्स ने दर्शकों को जमकर हंसाया। वहीं कलाकारों ने गीतों से भी समां बांधने में कोई कसर नहीं छोड़ी। पूरे शो के दौरान दर्शक मंच से नजरें नहीं हटा सके। इस दौरान डा. ब्रजेश्वर सिंह, डा. गरिमा सिंह, शिखा सिंह, शिवानी रेखी, डा. शालिनी अरोरा, नवीन कालरा आदि मौजूद रहे।