bareilly live news windermere theatre fast 27011601bareilly live news windermere theatre fast 27011611बरेली, 27 जनवरी। खुशियां कहीं बाहर से नहीं खरीदी जा सकतीं। ये हमारे चारों ओर बिखरी होती हैं बस जरूरत होती है उन्हें पहचानने और अपनी ओर आकर्षित करने की। अपनी भावनाओं को व्यक्त करने की। यह एक कला है, जो सभी को सीखनी चाहिए। मानवीय भावनाओं के ज्वारभाटा के बीच खुश रहने का सलीका सिखा गया विण्डरमेयर में चल रहे थिएटर फेस्ट में बुधवार को हुआ नाटक ‘जाना था रोशनपुरा’।

नाटक की जानदार कहानी और फिर शानदार मंझा हुआ अभिनय ने दर्शकों को कभी गंभीर कर गया तो कभी उनकी आंखें भिगो गया तो कभी गुदगुदाता रहा। जीवन के हर रंग और रस से सरावोर यह नाटक रिश्तों में प्रेम की जरूरत और परस्पर भावनाओं को समझने में देरी और भावनाएं समझने के बाद के परिवर्तन को कलाकारों ने अपने जीवन्त अभिनय से दर्शकों को भावविभोर कर दिया। नाटक बाप-बेटी-दामाद यानि तीन ही पात्रों के इर्द-गिर्द घूमती है।

नाटक की शुरुआत एक ऐसे घर से होती है जहां एक रिटायर आइएएस अधिकारी ईश्वर प्रसाद अवस्थी अपने दामाद चंदन श्रीवास्तव के साथ रहते है। उनकी एक बेटी थी जिसका नाम था पंजा। ईश्वर प्रसाद पंजा को बेइंतहा प्यार करते थे। अपने पति के लिए भी वही सबकुछ थी। पंजा की मौत कैंसर से हो जाती है। इस घटना को एक साल बीत चुका है। अपनी पत्नी की अंतिम इच्छा का सम्मान करते हुए चंदन अपने ससुर ईश्वरी प्रसाद के साथ रहता है।

पिता ईश्वर के दिल में यही टीस थी कि चंदन ने उससे उसकी बेटी छीन ली, इसीलिए उन्होंने चंदन को अपने दिल के पास नहीं आने दिया। आज चंदन और ईश्वरी प्रसाद के साथ रहने का अंतिम दिन है। क्योंकि पंजा ने चंदन से एक साल तक पिता के साथ रहकर उनका ख्याल रखने को कहा था।

इस एक साल में ईश्वर प्रसाद और चंदन में कभी नहीं पटी, यहां तक घरों में दीवार तक खिंच गई लेकिन इस नोकझोंक के बीच दोनों के दिलों में अपार प्रेम भी पैदा हो गया, लेकिन ईश्वर के मर्म में चुभने वाले शब्द चंदन को उस वक्त झकझोर देते हैं जब वह कहता है पंजा ने एक पिता का प्रेम नहीं समझा। बेटी के प्रेम में जीवन के सच को ईश्वर प्रसाद मानने को तैयार नहीं हैं। ऐसे में एक खत ईश्वरी प्रसाद को अंदर तक हिला देता है। यह वह खत था जो पंजा ने आखिरी वक्त पर अपने पति चंदन से लिखवाया था।

इसके बाद ईश्वरी प्रसाद के अंदर का पिता फूट-फूट कर रोता है। उसके आंसू के रूप पंजा से प्यार बहने लगता है। इस दृश्य ने दर्शकों के अंदर के पिता और भावुक इंसान को भी झकझोर दिया। हाॅल में बैठे तमाम पिताओं की आंखें भीग गयीं और वे रूमाल से उन्हें पोंछते दिखे।

ajmera Leader BAMCचंदन की भूमिका में रवि महाशब्दे और बेटी के किरदार में समता सागर ने पात्रों में डूबकर चरित्र को मंच पर जीवन्त किया तो पिता की भूूमिका में वीरेन्द्र सक्सेना ने लोगों को हिलाकर रख दिया। नाटक के अंत में ईश्वरी प्रसाद के दिल से टीस आंसुओं में बह चुकी है। उन्हें चंदन के रूप में बेटा और चंदन के ससुर के रूप पिता का प्यार मिल जाता है। दोनों मिलकर पंजा की यादों को संजोते हैं, बातचीत करते हैं लेकिन इसी बीच फिर नोंकझोंक करने लगते हैं। यह नोंकझोंक भी जीवन में प्यार के लिए कितनी जरूरी है यह भी समझ में आ जाता है।

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