बरेली, 13 फरवरी। वर्तमान में समाज नयी दिशा की ओर जा रहा है। नयी तकनीक दिनों दिन तेजी से विकसित हो रही है। शिक्षा में भी इस तकनीक का इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है, लेकिन इस सबके बीच सबसे बड़ी जरूरत बच्चों को संस्कारित शिक्षा देना है। यह चुनौती सभी स्कूलों के अध्यापकों और संचालकों के सामने है। यह कहना है अल्मा मातेर स्कूल के चेयरमैन कैप्टन राजीव ढींगरा का।
बरेली लाइव से बातचीत में उन्होंने कहा कि देश तभी स्मार्ट हो सकेगा जब राष्ट्र का प्रत्येक शहर स्मार्ट हो और लोगों की सोच स्मार्ट हो। इसके लिए विद्यालयों की जिम्मेदारी ज्यादा बढ़ गयी है, क्योंकि स्कूलों में ही राष्ट्र का भविष्य पढ़ता और संस्कारित होता है।
उन्होंने कहा कि शिक्षा प्रोफेशन तो है लेकिन व्यापार नहीं हो सकती। सही है कि बच्चों को अच्छी तालीम देने में खर्च अधिक आता है। एक सवाल के जवाब में कहा कि उनका विद्यालय बरेली का एकमात्र डे-बोर्डिंग स्कूल है। इसमें दिनभर बच्चों पर निगाह रखी जाती है। उन्हें विभिन्न क्रियाकलापों में व्यस्त रखा जाता है। बच्चे के सर्वांगीण विकास के लिए किताबी पढ़ाई के साथ ही व्यक्तित्व विकास पर भी काम किया जाना चाहिए। यही हम अपने स्कूल के बच्चों के लिए करते हैं।
उन्होंने कहा कि मैं हमेशा कहता हूं कि क्लास रूम में केवल बाबू पैदा होते हैं जबकि लीडर सदा क्लास रूम और उसके बाहर की शिक्षा के समन्वय से बनते हैं।
डेबोर्डिंग में पढ़ाई के साथ विभिन्न खेलकूद, होमवर्क कराना, स्वीमिंग के साथ अन्य कई तरह की एक्टिविटीज कराते हैं। साथ ही बच्चों को न्यूट्रिसियस भोजन उपलब्ध कराया जाता है। इससे बच्चे जहां फिजिकली फिट रहते हैं वहीं उनका मानसिक स्तर भी अधिक सुदृढ़ होता है।
कैप्टन ढींगरा ने बताया कि अब स्कूल का प्रबंधन नये निदेशक उनके पुत्र प्रत्यक्ष ढींगरा के हाथों में है। वह विदेश से अभी लौटे हैं और विद्यालय को विश्वस्तरीय शिक्षा का केन्द्र बनाने के लिए कृतसंकल्प है।