भाजपा सांसद केशव प्रसाद मौर्यालखनऊ, 8 अप्रैल। उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष को लेकर लंबे समय से चल रहा सस्पेंस आज तब खत्म हो गया भाजपा हाईकमान ने इलाहबाद के फूलपुर से सांसद केशव प्रसाद मौर्य को नया प्रदेश अध्यक्ष बना दिया। मौर्य भाजपा विधायक लक्ष्मीकांत बाजपेयी की जगह लेंगे। पार्टी ने तय किया है कि भाजपा आगामी विधानसभा चुनाव केशव प्रसाद मौर्यके नेतृत्व में ही लड़ेगी।

केशव प्रसाद मौर्य का हालांकि कोई खास राजनीतिक अनुभव नहीं रहा है। वे काफी समय से आरएसएस और विश्व हिन्दू परिषद से जुड़े रहे हैं। मौर्य विहिप के पूर्णकालिक सदस्य भी रहे हैं। उम्मीद की जा रही है कि आरएसएस विधानसभा चुनावों में भाजपा के लिए जमीन तैयार कर रही है। भाजपा हाईकमान ने मौर्यको प्रदेश अध्यक्ष बनाकर एक तो पिछड़ी जाति के वोट बैंक में सेंध लगाकर सोशल इंजीनियरिंग को मजबूत करेगी वहीं, दूसरी तरफ उनके नाम को आगे लाकर पार्टी में गुटबाजी को ख़त्म करने का प्रयास भी किया गया है।

मौर्यभाजपा के हार्डलाइनर नेताओं में से एक माने जाते हैं और उन्हें हमेशा विहिप और आरएसएस का समर्थन मिलता रहा है। पहली बार लोकसभा का चुनाव जीते मौर्य इलाहबाद में 2011 में हुई मोहम्मद गौस की हत्या में आरोपी भी हैं और केस अभी भी विचाराधीन है। भाजपा प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा है कि मौर्यभाजपा के काफी सक्रिय नेता रहे हैं और उनके नेतृत्व में पार्टी 2017 का चुनाव लड़ेगी और बड़ी जीत हासिल करेगी।

ajmera institute of media studies, bareilly कौशांबी के गांव में चाय बेचने वाले के बेटे केशव पहले करोड़पति बने, फिर ऐतिहासिक वोट हासिल कर सांसद बने और अब प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी। केशव मौर्य कौशांबी के सिराथू के कसया गांव के रहने वाले हैं। उनके पिता श्याम लाल वहीं चाय की दुकान चलाते थे। केशव की प्राथमिक शिक्षा दीक्षा भी गांव में ही हुई। कहते हैं कि बचपन में केशव पिता की दुकान चलाने में मदद करते थे और अखबार भी बेचते थे। लोकसभा चुनाव के दौरान नामांकन के समय दिए गए हलफनामे के मुताबिक केशव दंपति पेट्रोल पंप, एग्रो ट्रेडिंग कंपनी, कामधेनु लॉजिस्टिक आदि के स्वामी हैं। साथी ही जीवन ज्योति अस्पताल के पार्टनर हैं।

विहिप कार्यकर्ता के रूप में केशव 18 साल तक गंगापार और यमुनापार में प्रचारक रहे। साल 2002 में शहर पश्चिमी विधानसभा सीट से उन्होंने भाजपा प्रत्याशी के रूप में राजनीतिक सफर शुरू किया। उन्हें बसपा प्रत्याशी राजू पाल ने हराया था। इसके बाद साल 2007 के चुनाव में भी उन्होंने इसी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा। इस बार भी उन्हें जीत तो हासिल नहीं हुई। 2012 के चुनाव में उन्हें सिराथू विधानसभा से जीत मिली। यह सीट पहली बार भाजपा के खाते में आई थी। दो साल तक विधायक रहने के बाद केशव ने फूलपुर सीट पर भी पहली बार भाजपा का झंडा फहराया। मोदी लहर में इस सीट पर 503564 वोट हासिल कर एक इतिहास बना दिया।

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