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बरेली, 11 अप्रैल। यदि कोई नेता कांवरियों के लिए सफाई की मांग करे, उनका स्वागत करे, भण्डारे कराये या फिर भण्डारे में सेवा करता दिखायी दे और कहा जाये कि वह समाजवादी पार्टी का चेहरा है तो एकाएक यकीन करना आसान नहीं होता। शहर का एक लोकप्रिय चेहरा समाजवादी पार्टी की स्थानीय राजनीति में नया प्रयोग कर रहा है।यह चेहरा है डाॅ. सत्येन्द्र सिंह का। पेशे से हड्डी एवं जोड़ रोग विशेषज्ञ डाॅ. सत्येन्द्र सिंह समाजवादी पार्टी का चेहरा और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के करीबी माने जाते हैं। बरेली विधानसभा सीट से प्रत्याशी के रूप में उनका नाम काफी तेजी से उछला था, लेकिन पार्टी ने शेर अली जाफरी को प्रत्याशी बना दिया। प्रत्याशी बनने के बाद जाफरी ने हाथ खड़े कर दिये। इससे पार्टी नेतृत्व के आकलन पर सवालिया निशान लग गया।

इस बारे में जब बरेली लाइव के सम्पादक विशाल गुप्ता  ने डाॅ. सत्येन्द्र से बात की तो बड़ी सहजता से बोले-मैंने कभी कोई महत्वाकांक्षा नहीं पाली। लोग चर्चा कर रहे हैं तो जरूर उन्हें कुछ लगता होगा। मैं तो पार्टी का का कार्यकर्ता हूं और सदा से ही पार्टी के आदेशों का पालन किया है। जहां तक बात मुख्यमंत्री के करीबी होने की है तो ये उनका प्यार और स्नेह है जो एक कार्यकर्ता को इतना सम्मान देते हैं। वरना कहां राजा भोज और…।

बीते दिनों डा. सत्येन्द्र का नाम सोशल मीडिया में भाजपा से टिकट के लिए उछला। इस पर उन्होंने इसे कोरी कयासबाजी करार दिया। बोले- जिस मुख्यमंत्री ने मेरे एक फोन मात्र पर बरेली में तमाम विकास कार्यों को हरी झण्डी दे दी हो, उसे केवल एक टिकट के लिए छोड़ना असंभव है। मैं सपा का सिपाही था, हूं और रहूंगा।

मुख्यमंत्री का सहयोग गिनाते हुए बोले-एक हो तो बताऊं। फिर भी 100 फुटा रोड मेरे एक मैसेज से ही उन्होंने पूर्ण करा दिया। कुदेशिया पुल तो यहां के ही कुछ जनप्रतिनिधियों ने निरस्त करा दिया था, जिसे मैंने ही सीएम से बात करके पूर्ण कराया। श्यामतगंज पुल भी उन्होंने मेरे ही बात करने पर सैंक्शन किया था। इसके अलावा सिविल एयर टर्मिनल को लेकर भी मैं लगातार मुख्यमंत्री जी के सम्पर्क में हंू। उस पर काम चल रहा है। जल्द ही बन भी जाएगा। इसके अतिरिक्त भी तमाम जनता की मदद के लिए जब भी मैंने सीएम से बात की उन्होंने कभी निराश नहीं किया।

बरेली के भविष्य के सवाल पर बोले-बरेली निश्चित तौर पर एक स्मार्ट सिटी है। लेकिन असल चुनौती यहां के लोगों की सोच को स्मार्ट करने की है। उन्होंने स्मार्ट सिटी पर होने वाले खर्च को लोगों की सोच स्मार्ट करने पर व्यय करने की वकालत की। बोले-नया स्मार्ट सिटी बसाने से पहले मौजूदा शहर को विकसित करने पर जोर दिया जाना चाहिए।

उन्होंने प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की इच्छाशक्ति पर तमाम सवाल खड़े कर दिये। बोले-ट्रांसपोर्ट नगर बने दशक से ज्यादा बीत गया लेकिन आज तक बस नहीं सका, क्यों? पूरे शहर में अतिक्रमण का हाल किसी से नहीं छिपा है। कोतवाली के बाहर ही सड़क पर अतिक्रमण हटने के अगले दिन फिर हो जाता है, क्यों?

ajmera institute of media studies, bareillyशहर की सड़कों की स्थिति ऐसी क्यों है? सीवर लाइन कहीं है नहीं कहीं गल चुकी है, क्यों? साॅलिड वेस्ट मैनेजमेण्ट प्लाण्ट है लेकिन बंद पड़ा है, क्यों? इस सबके पीछे केवल और केवल प्रशासनिक एवं राजनीतिक गठजोड़ ही है। दोनों की इच्छाशक्ति बेहद कमजोर है, जिससे कोई काम नहीं हो पा रहा है। शहर की सड़कें बहुत संकरी नहीं हैं, यदि अतिक्रमण हट जाये तो। इसी तरह किसी क्षेत्र में बिजली चोरी की छूट है और कहीं लगातार छापेमारी? क्यों?

कोई भी शहर तभी स्मार्ट हो सकेगा जब बिजली चोरी जीरो हो, 24 घण्टे बिजली और पानी सभी को मुहैया हो। लोगों को जाम से मुक्ति मिलनी चाहिए। माडर्न विलेज की तर्ज पर माडर्न सिटी बनाने चाहिए। डाॅ. सत्येन्द्र की मानें तो बरेली के स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के आधे खर्च में वर्तमान बरेली को ही स्मार्ट और माॅडर्न बनाया जा सकता है। बस, जरूरत है मजबूत इच्छाशक्ति की।

एक सवाल के जवाब में बोले-मेरे लिए हिन्दू-मुस्लिम में कोई फर्क कभी नहीं रहा। मैं आर्थोपोडिक सर्जन हूं। हड्डी की तरह समाज को भी जोड़ने की बात करता हूं दिलों को तोड़ने की नहीं। कहा-धर्म के नाम पर ठेकेदारी करने वालों से दूर रहता हूं लेकिन आदर हर धर्म का समान रूप से करता हूं। जो अपने धर्म या आस्था का सम्मान नहीं करता वह दूसरे का भी नहीं कर सकता। ऐसे लोग किसी के प्रति ईमानदार नहीं हो सकते।

बोले-मैं विकास की बात करता हूं। सड़क बनती है तो हर धर्म और जाति का व्यक्ति उस पर दौड़ता है। पानी मिलेगा तो टोंटियों में धर्म देखकर नहीं बहेगा। बिजली मिलेगी तो बल्ब में जाति और धर्म देखकर नहीं पहुंचेगी। कहा-अगर मैं कांवरियों का स्वागत करता हूं तो रोजेदारों का भी इस्तकबाल के लिए पहुंचता हूं। क्रिसमस पर लोगों के साथ केक खाता हूं और गुरुद्वारे में भी लंगर छकता हूं। सभी धर्मों का सार मानवता की सेवा है, सभी ईश्वर, खुदा, गाॅड तक पहुंचने का रास्ता दिखाते हैं।

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