नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के दौरान शनिवार को जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने सभी पक्षों से बातचीत सहित ‘तीन आयामी कार्ययोजना’ पेश की ताकि अशांति का सामना कर रही घाटी में स्थायी शांति बहाल हो सके। कश्मीर में हिंसा में अब तक 68 लोगों की मौत हो चुकी है। आठ जुलाई को अशांति शुरू होने के बाद मोदी के साथ महबूबा की पहली मुलाकात एक घंटे चली।
मुलाकात के बाद महबूबा ने संवाददाताओं से कहा कि प्रधानमंत्री स्थिति को लेकर बेहद चिंतित हैं और उन्होंने वहां जारी इस ‘रक्तपात’ को रोकने के लिए कदम उठाने को कहा है ताकि घाटी में शांति बहाल हो सके।
महबूबा ने संकट के हल के लिए प्रदर्शनकारियों से मदद की अपील की और कहा, ‘अपनी चिंताओं और आकांक्षाओं के हल के लिए कृपया मुझे एक मौका दें।’ मुख्यमंत्री ने पाकिस्तान पर भी निशाना साधा और कहा कि उसे उन लोगों का समर्थन बंद करना चाहिए जो घाटी में युवाओं को पुलिस स्टेशनों या सेना के शिविरों पर हमले के लिए भड़का रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री हम सभी की तरह जम्मू-कश्मीर की स्थिति को लेकर बेहद चिंतित हैं। यह हर किसी के लिए चिंता का विषय है। प्रधानमंत्री चाहते हैं कि यह रक्तपात रूके ताकि राज्य मौजूदा संकट से बाहर आए।’
राज्य सरकार की एक विज्ञप्ति के अनुसार कश्मीर समस्या के हल के लिए महबूबा ने प्रधानमंत्री के समक्ष ‘तीन आयामी कार्ययोजना’ को रेखांकित किया जिनमें मौजूदा भू-राजनीतिक वास्तविकताओं के आलोक में समस्या का हल निकालने के लिए बातचीत में अलगाववादियों और पाकिस्तान को शामिल करना शामिल है। विज्ञप्ति में हालांकि कोई ब्यौरा नहीं दिया गया है लेकिन जानकारी सूत्रों का कहना है कि योजना में एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल की अगले हफ्ते यात्रा सुगम बनाना, राज्यपाल का संभावित परिवर्तन और राज्य में सभी पक्षों के साथ बातचीत के लिए एक वार्ताकार की नियुक्ति शामिल है।
राज्य में शांति और स्थिरता के लिए जमीन पर विश्वसनीय और सार्थक राजनीतिक पहल शुरू करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए महबूबा ने 2002 और 2005 के बीच अटल बिहारी वाजपेयी नीत तत्कालीन राजग सरकार द्वारा शुरू की गयी सुलह एवं संकल्प प्रक्रिया बहाल करने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा, ‘कृपया उन लोगों का एक समूह गठित करें जिन पर कश्मीर के लोगों को भरोसा हो कि वे जो भी कहेंगे वह दिल्ली में सत्ता में बैठे लोगों तक पहुंचेगी।’ मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्वास बहाली के लिए उस समय की गयी पहलों से राज्य तथा क्षेत्र में स्थिति बदलने में मदद मिली थी।
उन्होंने कहा कि 2005 में हमने चीजें जहां छोड़ी थी, हमें वहीं से पहल करनी होगी और नए संकल्प के साथ उस प्रक्रिया को बहाल करना होगा। उन्होंने कहा कि कश्मीर के संबंध में वैसी साहसपूर्ण राजनीतिक पहल के लिए मौजूदा प्रधानमंत्री के पास जनादेश है, जैसी वाजपेयी ने की थी। लगातार हिंसा और मौतों पर क्षोभ व्यक्त करते हुए महबूबा ने जम्मू कश्मीर की समस्याओं के हल तथा राज्य की स्थिति में सुधार के लिए सभी पक्षों को शामिल किए जाने पर बल दिया उन्होंने कहा कि राज्य सरकार, भारत सरकार और देश की सभी अन्य पार्टियों का जोर कश्मीर में उन अधिकांश शांतिप्रिय पक्षों तक पहुंच बनाने पर है जो समस्या का शांतिपूर्ण समाधान चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि हर राजनीतिक पार्टी चाहती है कि कश्मीर में रक्तपात बंद हो और जल्दी ही एक राजनीतिक प्रक्रिया शुरू हो। उन्होंने कहा कि हुर्रियत नेताओं सहित सभी पार्टियों को आगे आना होगा और निर्दोष लोगों को बचाने में मदद करनी होगी, साथ ही समस्याओं के शांतिपूर्ण समाधान के लिए सार्थक बातचीत प्रक्रिया में भी शामिल होना होगा।
सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के बारे में महबूबा ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि वे विभिन्न राजनीतिक विचार वाले लोगों से मिलेंगे और मौजूदा संकट से बाहर निकलने के उपाय के बारे में उनकी राय को प्रकाश में लाएंगे।
उन्होंने कश्मीर मुद्दे के स्थायी हल के लिए शांति पहलों पर खुले मन से प्रतिक्रिया जताने का पाकिस्तान से आग्रह किया। उन्हेंने कहा कि बदकिस्मती से पाकिस्तान ने मेलजोल का स्वर्णिम अवसर हाथ से जाने दिया जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले साल दिसंबर में लाहौर गए और जब हाल ही में गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने दक्षेस की बैठक के लिए इस्लामाबाद की यात्रा की।
महबूबा ने कहा कि क्षेत्र की स्थिरता और शांति के हित में पाकिस्तान को भी एक कदम आगे बढ़ाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘बाद में, जब स्थिति खराब थी और पाकिस्तान कश्मीर में जारी संकट को हवा दे रहा था तब हमारे गृह मंत्री राजनाथ सिंह लाहौर गए, लेकिन एक बार फिर, बदकिस्मती से पाकिस्तान ने वह स्वर्णिम अवसर हाथ से जाने दिया और वह शिष्टाचार नहीं दिखाया जो एक मेहमान के प्रति दिखाया जाता है।’ उन्होंने पाकिस्तान को यह भी सलाह दी कि वह अपने पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ की कश्मीर नीति का अनुसरण करे जिनकी राय थी कि कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के लिए मौजूदा दुनिया में कोई जगह नहीं है।
महबूबा ने पीडीपी-भाजपा गठबंधन के वाजपेयी की कश्मीर नीति पर आधारित होने और उस नीति को आगे बढ़ाने की बात कहते हुए याद किया कि उनके पिता एवं पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने कहा था कि कश्मीर मुद्दे का हल हो सकता है, इसका हल केवल वही प्रधानमंत्री कर सकते हैं जिनके पास दो तिहाई बहुमत हो।
उन्होंने कहा, ‘अगर उनके (मोदी) कार्यकाल में ऐसा नहीं हुआ तो फिर यह कभी नहीं होगा। मेरा मानना है कि वहां जाने का साहसी कदम उठाने वाले मोदीजी आज फिर कह रहे हैं कि हमें अपने खुद के लोगों से बात करनी चाहिए क्योंकि लोग मारे जा रहे हैं।’ मुख्यमंत्री ने कहा, ‘मुझे यकीन है कि प्रधानमंत्री संप्रग के उलट कश्मीर मुद्दे का एक स्थायी हल तलाशना नहीं भूलेंगे।’
भाषा से साभार