नई दिल्ली। अब 2017 से सिर्फ एक बजट ही पेश होगा। यानी रेल बजट अब इतिहास बन जाएगा और अगले साल से आम बजट में ही रेल बजट पेश होगा। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज अलग से रेल बजट पेश करने की व्यवस्था समाप्त करने और इसे आम बजट में मिलाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। अबतक ऐसी परंपरा रही है कि रेल बजट पहले पेश होता था और उसके कुछ दिनों बाद आम बजट।
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस बाबत प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि अगले साल से सिर्फ एक बजट पेश होगा। अगले साल यानी 2017 से रेल बजट का आम बजट में विलय होगा। 1924 से रेल बजट अलग से पेश होता था। उन्होंने कहा कि रेल बजट को अलग से पेश करने की जरूरत नहीं है। ऐसा होने के बावजूद रेलवे की अलग पहचान बरकरार रहेगी।
जेटली ने कहा कि सरकार के इस फैसले से रेलवे को मिलनेवाली मदद में कोई कमी नहीं आएगी। उन्होंने कहा कि देबराय कमेटी की सिफारिशें सरकार ने मानी और ऐसा करने का फैसला किया। नीति आयोग कमेटी ने दोनों बजट (रेल और आम बजट) के विलय की सिफारिश की थी।
सूत्रों का कहना है कि इसके पीछे मकसद पूरी बजट प्रक्रिया को 24 मार्च से पहले समाप्त करना है। विनियोग विधेयक और वित्त विधेयक सहित पूरा बजट संसद में 24 मार्च से पहले पारित कराने की योजना है। रेल बजट को आम बजट में मिला दिये जाने और बजट पेश करने की तिथि पहले करने के बाद अलग से विनियोग विधेयक और लेखानुदान पेश करने की आवश्यकता नहीं होगी।
मौजूदा प्रक्रिया में अप्रैल से जून तीन माह के लिये पहले लेखानुदान पारित कराया जाता है। रेलवे बजट समाप्त कर दिया जायेगा और उसके सभी प्रस्ताव आम बजट में शामिल कर दिये जायेंगे बावजूद इसके रेलवे एक अलग इकाई का अपना रतबा बनाये रखेगी। रेलवे की विभागीय तौर पर चलाये जाने वाले एक वाणिज्यिक उपक्रम की अलग पहचान बनी रहेगी। सूत्रों का कहना है कि रेलवे की कामकाज में स्वायत्तता भी बनी रहेगी। रेलवे को, जैसा कि वर्तमान व्यवस्था में है, वित्तीय अधिकार भी बने रहेंगे। रेल बजट के आम बजट में विलय के बाद रेलवे को केन्द्र सरकार को लाभांश का भुगतान भी नहीं करना होगा।