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ravanबरेली। धर्म की अधर्म और अच्छाई की बुराई पर जीत का पर्व दशहरा शहर में हर्षोल्लास पूर्वक मनाया गया। कई स्थानों पर हो रही रामलीला में श्रीराम ने रावण का वध किया। उसके बाद बुराई के प्रतीक रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों का दहन किया गया। जहां सभी ने आतिशबाजी का आनंद लिया। बच्चों ने रामलीला मेलों से मनपसंद खिलौनों की खरीददारी की।

माडल टाउन – बरेली दशहरा रामलीला धार्मिक सेवा समिति की ओर से माडल टाउन के मैदान पर 65 वां दशहरा मेला धूमधाम से मनाया गया। शाम चार बजे राजेंद्र नगर स्थित श्री बांके बिहारी मंदिर से भगवान श्रीराम की राजगद्दी का जुलूस निकला। शोभायात्रा शहर के मुख्य मार्गो से निकाली गई। शाम को छह बजे शोभायात्रा का मेला ग्राउंड पर समापन हुआ। इसमें ढोल-नगाड़ों के साथ भगवान श्रीरामए लक्ष्मण व हनुमान जी की सेना और रावण, मेघनाथ की सेना चल रही थी। मुख्य अतिथि आइजी विजय सिंह मीना ने भगवान श्रीराम की आरती उतारी। बाद में मेले का उद्घाटन महापौर डॉ. आइएस तोमर ने किया। इसके बाद राम-रावण युद्ध हुआ। राम के तीर से रावण के वध के बाद मैदान में खड़े रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के विशालकाय पुतलों का दहन किया गया। पुतला दहन के बाद आतिशबाज शमशाद व शाहिद अली के बीच जबरदस्त मुकाबला देखने को मिला। इन दोनों की शानदार आतिशबाजी ने आसमान को रंगीन रोशनी से भर दिया।

हार्टमैन कॉलेज मैदान-महारानी लक्ष्मीबाई रामलीला कमेटी और प्रशासन के सहयोग से हार्टमैन कॉलेज के मैदान पर भव्य दशहरा मेला लगाया गया। शाम होते ही मेले में लोगों की भीड़ जुटने लगी, जो देर रात घरों को लौटी। यहां बच्चों ने मनपसंद खिलौनों की खरीदारी की और झूलों का आनन्द उठाया। शाम होते ही श्रीराम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान के स्वरूप मेला परिसर से पास ही स्थित बड़ा बाग हनुमान मंदिर पहुंचे। यहां पूजन के बाद आए और फिर दो रथों पर मैदान की सात परिक्रमा की। एक रथ पर प्रभु श्रीराम तो दूसरी ओर रावण की सेना थी। युद्ध में राम ने रावण का वध किया। रावण की मृत्यु के बाद रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले दहन किए गए। पुत्तन और नाजिम की आतिशबाजी ने समां बांध दिया। लोग आसमान की ओर आंखें उठाये रंगीन रोशनी का लुत्फ टकटकी बांधकर उठाते देखे गये।

इसके अलावा कैंट के बीआइ बाजार स्थित एमईएस फुटबाल ग्राउंड में पर्वतीय सांस्कृतिक समाज की ओर से 35वां दशहरा समारोह का आयोजन किया गया। यहां मुख्य अतिथि ब्रिगेडियर एसके चतुर्वेदी ने मेले का उद्घाटन किया। सांस्कृतिक कार्यक्रम व आतिशबाजी की गई। राम-रावण युद्ध में रावण वध के बाद मैदान पर खड़े रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले दहन किए गए। इसके अतिरिक्त सुभाषनगर रामलीला में रावण वध, भरत मिलाप और राजतिलक की लीला का भी मंचन हुआ। यहां राजतिलक के बाद लोगों ने श्रीराम की आरती उतारी और आशीर्वाद प्राप्त किया।

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