बरेली। दीपावली पर्व को लेकर अब बाजार सजने शुरू हो गई है। फैन्सी लाईट्स की खरीददारी को इलैक्ट्रिक आइटम्स की दुकानों पर लोगो का तांता लगा हुआ है। वहीं रेडीमेड गार्मेन्ट्स की दुकानों पर भी भीड़ उमड़ रही है। दीपावली पर्व को लेकर लोगो ने अपने घरों व दुकानों पर रंगबिरंगी लड़िया भी सज चुकी है जो दीपावली पर्व के शीघ्र आने की सूचक बनी हुई है।
एक तरफ जहां दीपावली की खरीददारी शुरू हो चुकी है वहीं क्षेत्रीय दुकानदारो द्वारा बेचे जाने वाले पटाखे बच्चों के लिए आकर्षण का केन्द्र हैं। जो शाम ढ़लते ही दो चार पटाखे छुडाकर अपना भरपूर मनोरंजन कर रहे है। दरअसल कम आवाज के पटाखे व फुलझड़ियों का लुत्फ बच्चे पहले ही उठा लेना चाहते है क्योंकि दीपावली वाले दिन तेज आवाज से अधिकतर बच्चे डरने लगते है।
प्रदूषण मुक्त मनायें दीपावली पर्व
प्रदूषण मुक्त दीपावली मनाए जाने का हर बार ढिंढोरा पीटा जाता है, लेकिन इस पर अमल नही होता। दीपावली रोशनी का त्यौहार है। राजेन्द्र नगर निवासी राजीव शुक्ला कहते हैं कि अच्छा हो कि लोग रोशनी करने पर अधिक ध्यान दें। आतिशबाजी में भी तेज आवाज वाले पटाखों की जगह फुलझड़ी-अनार आदि से घर और आसमान को रोशन करें।
जमकर बिक रहे चायनीज आइटम
चायनीज सामान का बहिष्कार किये जाने का भले ही शोर मचाया जा रहा हो, लेकिन हकीकत इससे ठीक विपरीत देखने को मिल रही है। चायनीज सामान अभी भी लोगो की पसन्द बना हुआ है। पिछले कुछ सालो से खासकर दीपावली के मौके पर चायनीज सामानो कीलोगो ने जमकर खरीददारी की औरइस बार भी यही स्थिति बनी हुई है। खासकर चाईना द्वारा निर्मित इलैक्ट्रिक सामान लोगो की पहली पसन्द है, जबकि दुकानदार इनकी कोई गारण्टी नहीं दे रहे, इसके बावजूद इसकी बिक्री पर कोई खास असर नहीं पड़ रहा है।
नकली मावे से सावधान!
दीपावली पर्व के भले ही अभी पांच दिन बाकी हैं। इसके लिए मिठाई विक्रेताओं के यहां मिठाईयां बनाने का का काम युद्धस्तर पर शुरू हो चुका है। बिहारीपुर निवासी डॉ. नरेश चंद्र मिश्रा का कहना है त्योहार के इस मौसम में मावे की मिठाइयां न के बराबर ही खरीदने में भलाई है। मांग के अनुरूप मावा न मिलने पर नकली मावे का उपयोग किया जाता है। ऐसे में ये मिठाइयां स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है। शायद यही कारण रहे कि पिछले कुछ सालो से बुद्धिजीवियों ने मावे से निर्मित मिठाईयों को दरकिनार कर अपने रिश्तेदारो व परिचतों को गिफ्ट देने की परम्परा अपना ली है।