बरेली। भारतीय पशुचिकित्सा अनुसंधान संस्थान में आज से एक माह का “माॅलिक्यूलर बायोलाॅजिकल टेक्नीक्स फाॅर रिसर्च इन एग्रीकल्चर एण्ड बायोमेडिकल साइन्सेस” विषय पर अंतर्राष्ट्रीय प्रशिक्षण पाठ्यक्रम शुरू हो गया। विदेश मंत्रालय के टीसीएस कोलम्बो प्लान के अन्तर्गत इस पाठ्यक्रम में श्रीलंका, फिजी, म्यांमार, बंाग्लादेश, भूटान, इंडोनेशिया देशों के कुल 10 प्रशिक्षु भाग ले रहे हैं।
पाठ्यक्रम के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए संस्थान के कार्यवाहक निदेशक एवं संयुक्त निदेशक (कैडराड) डाॅ. वी.के. गुप्ता ने संस्थान में उपलब्ध मानव एवं तकनीकी संसाधनों पर प्रकाश डाला और कहा कि माॅलिक्यूलर बायोलाॅजी विषय ने सभी वैज्ञानिक विषयों की सीमा को तोड़कर उसका विभिन्न विषयों विस्तार कर दिया है। विशिष्ट अतिथि एवं संस्थान के पूर्व राष्ट्रीय प्राध्यापक डाॅ. भास्कर शर्मा ने प्रशिक्षुओं से जीव रसायन विषय की उपयोगिता पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने अपने सारगर्भित भाषण में कहा कि जीव रसायन का विकास इतनी तेजी से हो रहा है कि प्रत्येक तीन वर्ष में इसका सिलेबस दोगुना हो जाता है। उन्होंने वैज्ञानिक विषयों में डाटा के विश्लेषण पर जोर देते हुए कहा कि इसके बिना डाटा का उपयोग संभव नहीं है। डा. शर्मा ने कहा कि डाटा विश्लेषण के बिना उसके उपयोग की कल्पना नहीं की जा सकती।
पाठ्यक्रम निदेशक डाॅ. मीना कटारिया ने माॅलिक्यूलर बायोलाॅजी और बायोलाॅजिकल तकनीक पर विस्तार से चर्चा की। कहा कि इसका उपयोग कृषि और पशुपालन में समान रूप से उत्पादन बढ़ाने के लिए किया जा सकता है। पाठ्यक्रम की रूपरेखा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पाठ्यक्रम में जेनेटिक्स, नैनो टेक्नोलाॅजी, बायोइंजीनियरिंग, सेल कल्चर, एनीमल एवं प्लान्ट बायोटेक्नोलाॅजी, न्यूट्रीशन, फीजियोलाॅजी आदि विषयों पर व्याख्यान एवं प्रायोगिक कक्षाएँ आयोजित की जायेगी।
समारोह में अतिथियों का स्वागत जीव रसायन विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. पारितोष जोशी ने किया। इस अवसर पर संस्थान के संयुक्त निदेशक (विस्तार) डा. ए.के. गर्ग, सेवानिवृत्त वैज्ञानिक, छात्र, अधिकारी, कर्मचारी आदि बड़ी संख्या में उपस्थित थे। समारोह का संचालन प्रधान वैज्ञानिक डा. मोहिनी सैनी तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रधान वैज्ञानिक डाॅ. एस.के. भूरे ने किया।